जयपुर। अशोक गहलोत सरकार पर छाया संकट एक बार भले ही टल गया हो, लेकिन अंदरुनी तौर यह असंतोष की आग अभी भी पूरी तरह से सुलग रहा है। करीब एक महीने तक सरकार की सांसें के अटकाये रखने वाले बागियों की वापसी से गहलोत खेमे के कई विधायक और नेता खुश नहीं हैं। वे पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट समेत उनके समर्थक पार्टी के अन्य बागी विधायकों की वापसी पर स्वागत की जगह सवाल उठा रहे हैं। अब ऐसे विधायकों और नेताओं को संतुष्ट करना पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए मुसिबत बन गया है।
जमकर हुई नारेबाजी
आलाकमान के मनाने के बाद मंगलवार को भले ही सचिन पायलट जयपुर लौट आए हों, लेकिन जैसलमेर के सूर्यागढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दिल्ली से आए नेताओं एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने पायलट का विरोध हुआ। मुख्यमंत्री के हॉल में घुसते ही मंगलवार रात करीब 8.30 बजे शुरू हुई बैठक में मंत्रियों-विधायकों ने एक साथ बोलना शुरू कर दिया और अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे गूंजे।
दरवाजे पर आए हैं, तो दुत्कार नहीं सकते
करीब दस मिटन हंगामे में मंत्रियों-विधायकों ने कहा कि पायलट को सजा नहीं, तो ईनाम भी नहीं मिलना चाहिए। मंत्रियों व विधायकों को शांति से अपनी बात रखने के लिए रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन व अविनाश पांडे को दखल देना पड़ा। उन्होंने विधायकों से कहा कि पायलट की बिना शर्त वापसी हुई है, अब दरवाजे पर आए हैं, तो दुत्कार नहीं सकते। यदि हालात यही रहते हैं, तो हम दिल्ली तक आपकी भावनाएं पहुंचाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी देश में षडय़ंत्र हो रहे हैं, राज्य सरकारें गिराई जा रही हैं। अभी कांग्रेस, देश और लोकतंत्र को बचाना प्राथकमिता है। हमें एक साथ रहना है, सदन में व्यक्तिगत मामलों में नहीं उलझना है, जिससे विपक्ष को कोई मौका मिले।
विधायकों और नेताओं को खटक रही है बागियों की वापसी
आपको बता दें कि सुलह से पहली रात को जैसलमेर में हुई विधायक दल की बैठक में कई नेताओं ने बागियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। इस बैठक के बाद लगभग यह तय हो गया था कि बागियों के लिये अब पार्टी के दरवाजे बंद हो चुके हैं। रघुवीर मीणा ने अपने बयान फिर सुलह के संकेत दिये थे। उसके बाद अगले दिन दिल्ली में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत अन्य नेताओं ने पायलट से बातचीत कर सुलह की राह खोली और उनकी पार्टी में वापसी कराई थी। लेकिन यह वापसी गहलोत खेमे के कई विधायकों और नेताओं को खटक रही है।