प्रदेश सरकार की किसानों को दी जा रही ऋणमाफी का फायदा मंत्री, वर्तमान व पूर्व सांसद, विधायक एवं सरकारी कर्मचारी नहीं उठा सकेंगे। नए नियमों के अनुसार इन सभी को इस योजना से अलग कर दिया गया है। वसुन्धरा सरकार 31 मई से किसानों के लिए कर्जमाफी के शिविरों का शुभारंभ करने जा रही है। 36 जिलों के 29 शहरों में इन शिविरों का आयोजन होगा। संभावना है कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे खुद बांसवाड़ा में इन शिविरों का उदघाटन करेंगी। किसानों को कर्जमाफी के प्रमाण पत्र के साथ खरीफ के नए ऋण का पत्र भी दिया जाएगा।
इस संबंध में रजिस्ट्रार, सहकारिता राजन विशाल ने बताया कि राजस्थान फसली ऋणमाफी योजना, 2018 के अन्तर्गत ऋणमाफी का लाभ जिन किसानों को दिया गया है, उनमें से राज्य एवं भारत सरकार के वर्तमान व पूर्व मंत्रिमण्डल के सदस्य को योजना से अलग कर दिया गया है। इसी प्रकार वर्तमान व पूर्व सांसद एवं विधायक, आयकरदाता कृषक, राज्य व केन्द्र सरकार के वेतनभोगी अधिकारी व कर्मचारी, राज्य व भारत सरकार के नियमित पेंशनधारक सेवानिवृत्त अधिकारी व कर्मचारी को भी ऋणमाफी योजना से अलग कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से करीब 3 लाख से ज्यादा लोग कर्जमाफी के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या सरकारी कर्मचारी एवं पेंशनर्स की है। इस कदम से प्रदेश सरकार कर्जमाफी के करीब 700 से एक हजार करोड़ रूपए तक बचा लेगी।
इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा विभिन्न निगमों में नियुक्त पदाधिकारी, जिन्हें केबिनेट एवं राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है तथा राज्य सरकार के विभिन्न आयोगों में नियुक्त अध्यक्ष एवं सदस्य को भी योजना के लाभ से पृथक् कर दिया गया है। उक्त श्रेणी के कृषकों को ऋणमाफी का लाभ नहीं मिलेगा। इसके लिये परिपत्र जारी कर दिया गया है।
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