भाजपा में शामिल होने का कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का फ़ैसला
भाजपा में शामिल होने का कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का फ़ैसला

2014 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर राजस्थान में क्लीन स्वीप के लिए बीजेपी जोर-शोर से सूबे में प्रचार अभियान में जुटी है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी का फोकस अब राजस्थान पर है। पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन यहां दोहराना चाहती है। इसके लिए पार्टी यहां हर वर्ग को साधने में जुटी है। इसी क्रम में गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का फ़ैसला है। वो अपने बेटे विजय बैंसला के साथ बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गये। हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी की वरिष्ठ नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बैंसला के पार्टी में शामिल होने को लेकर नाराज हैं। उधर, बीजेपी में शामिल होने से पहले बैंसला ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की।

भाजपा में शामिल होने का बैंसला का फ़ैसला इन बातों पर टिका है

कर्नल बैंसला ने भाजपा में शामिल होल से पहले प्रेस वार्ता में कहा। मैं 14 सालों से समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा हूँ। मैं कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्रियों के साथ रहा हूँ। लेकिन भाजापा की जो विचारधारा है। वो आम आदमी की विचारधारा है। मैंने नरेंद्र मोदी जैसी दूरदृष्टिता वाला प्रधानमंत्री। हिंदुस्तान के इतिहास में आज तक दूसरा नहीं देखा। वे साधारण व्यक्तित्व से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। जो आम जन की समस्याओं को समझते हैं। और उन्हें दूर भी करते हैं। मैं भी पार्टी में रहते हुए यही काम करूँगा। जिनको भी न्याय नहीं मिला। इनके  के लिए लड़ाई लडूंगा। फिर वो चाहे मेरे समाज जुड़ा व्यक्ति हो। या फिर किसी अन्य समुदाय का। मैं सभी के अधिकारों को सही व्यक्ति तक पहुँचाऊँगा।

राजस्थान में बीजेपी का बड़ा दांव

दरअसल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में हुई हार के बाद पार्टी ने तीनों राज्यों में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। तीनों ही राज्यों में पार्टी अब हर वर्ग को साधने में जुटी हुई है। इसी क्रम में पिछले दिनों राजस्थान के मारवाड़ इलाके में असर रखने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया था। केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल एनडीए (नैशनल डेमोक्रैटिक अलायंस) में शामिल होने का ऐलान किया था। इसके बाद से ही यह अटकलें भी तेज हो गई थीं कि बैंसला भी जल्द बीजेपी में शामिल होंगे। राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी मारवाड़ इलाके के नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, जालोर, पाली और सीकर जिलों में आरएलपी का जनाधार माना जाता है। इसीलिए बेनीवाल के आने से बीजेपी को इस क्षेत्र की लोकसभा सीटों पर लाभ मिल सकता है।

गुर्जर आरक्षण को लेकर बैंसला का फ़ैसला रहा है आंदोलन

बता दें कि गुर्जर नेता बैंसला सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्‍थानों में प्रवेश के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे हैं। फरवरी में अपनी मांग को लेकर समर्थकों के साथ सवाईमाधोपुर के मलारना डूंगर में रेल पटरी पर बैठे गए थे। बाद में करौली जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उनके घर के बाहर एक नोटिस चस्पा करना पड़ा। करौली के जिला कलेक्टर ननूमल पहाड़िया ने तब कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, सड़क और रेल मार्ग को अवरूद्ध करना न्यायालय की अवमानना है।

आम आदमी का हक़ प्रदान करती है बीजेपी मेरी भी यही कोशिश

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संरक्षक रहे हैं किरोड़ी सिंह बैंसला। उनके बेटे विजय बैंसला ने भी पिता के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर की मौजदूगी में बैंसला बीजेपी में शामिल हुए। बैंसला ने गुर्जरों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इस अवसर पर बैंसला ने कहा कि वह गुर्जर आरक्षण आंदोलन से पिछले 14 साल से जुड़े हुए हैं और इस दौरान उन्होंने दोनों दलों (कांग्रेस, भाजपा) के मुख्यमंत्रियों को नजदीक से अनुभव किया है और दोनों दलों की कार्यशैली, विचारधारा देखी। उन्होंने कहा कि वह भाजपा में इसलिए शामिल हो रहे हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं, जो साधारण से साधारण आदमी का सुख-दुख समझते हैं। बैंसला ने कहा कि उन्हें पद का लालच नहीं है और वह चाहते हैं कि न्याय से वंचित लोगों को उनका हक मिले।

चौदह वर्ष के वनवास जैसा है आरक्षण का संघर्ष

2007 में बैंसला ने एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। जिसमें 27 लोग पुलिस से संघर्ष में मारे गए। मई 2008 तक इस तरह की झड़पों में कुल 43 प्रदर्शनकारीयों की मौत हुई। जिसके लिए बैंसला ने पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। मई 2015 में बैंसला के नेतृत्व में हजारों गुर्जरों ने इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था। इस साल भी गुर्जरों का विरोध -प्रदर्शन हुआ। जिसके बाद राजस्थान विधानसभा ने गुर्जर समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पांच फीसदी आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया। समुदाय के नेताओं में संशय है। इसे कानूनी अमलीजामा पहनाया जा सकेगा? इससे पहले दो बार 2009 और 2015 में भी इसी तरह आरक्षण की मंजूरी को निरस्त कर दिया था। राजस्थान हाई कोर्ट ने दोनों बार कहा कि पांच फीसदी आरक्षण प्रदान किए जाने से राज्य में आरक्षण का तय आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक हो गया है।

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