जयपुर। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद तमाम विश्लेषक महागठबंधन की हार के लिए कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी तो खुलकर हार का ठीकरा कांग्रेस और राहुल गांधी पर फोड़ रहे हैं। अब खुद कांग्रेस के भीतर ही कलह मच गई है। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिए हैं। जवाब में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल को नसीहत दी है। अशोक गहलोत ने पार्टी के आंतरिक मुद्दे का जिक्र मीडिया में करने के लिए अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि सिब्बल को इस तरह से पार्टी के आंतरिक मुद्दे का जिक्र मीडिया में करने की कोई जरूरत नहीं थी और इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत होती हैं। कार्ति चिदंबरम ने भी हार पर चिंतन की बात कही है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी सिब्बल पर कटाक्ष किया है।
There was no need for Mr Kapil Sibal to mentioned our internal issue in Media, this has hurt the sentiments of party workers across the country.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
इस बार भी हम संकट से निकल आएंगे
गहलोत ने मंगलवार को इस मुद्दे को लेकर कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा है, कपिल सिब्बल द्वारा पार्टी के आंतरिक मुद्दे का जिक्र मीडिया में करने की कोई जरूरत नहीं थी, इससे देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत होती हैं। गहलोत ने लिखा है, कांग्रेस ने 1969, 1977, 1989 और उसके बाद 1996 में अनेक संकट देखे… लेकिन अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों व नीतियों और पार्टी नेतृत्व में मजबूत विश्वास के चलते हर बार हम और अधिक मजबूत होकर निकले हैं। हम हर संकट के बाद बेहतर हुए और 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में संप्रग सरकार भी बनी। इस बार भी हम संकट से निकल आएंगे।
कपिल सिब्बल का बयान
दरअसल, एक अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में कहा है कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है। कपिल सिब्बल ने इंटरव्यू में पार्टी की राज्यों में हो रही हार को लेकर आत्मंथन की बात कही थी। उन्होंने कहा था, देश के लोग, न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते। यह एक निष्कर्ष है। बिहार में विकल्प आरजेडी ही था। हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी। उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को 2 फीसदी से कम वोट मिले। मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस आत्ममंथन करेगी। आपको बता दें कि विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में कांग्रेस अपने प्रदर्शन को लेकर आत्ममंथन करने के बजाए मतभेद के दौर से गुजरती नजर आ रही है।