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Jhunjhunun got recognition for the third time at the national level in 'Beti Bachao-Beti Padhao' campaign.

राजस्थान का झुंझुनूं जिला ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान में लगातार तीसरे साल राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हुआ है। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर झुंझुनूं जिले को इस सम्मान से नवाज़ा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भ्रुण हत्या को रोकने और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत झुंझुनूं जिले को रिकॉर्ड तीसरी बार यह सम्मान प्राप्त हुआ है। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा शुरू की गई राजश्री योजना का भी इसमें अहम योगदान रहा है। सबसे ख़ास बात यह है कि इस अभियान को अभी शुरू हुए मात्र चार साल हुए हैं और पिछले तीन साल से झुंझुनूं जिले का देश के शीर्ष 25 जिलों में चयन हो रहा है। देशभर के जिलों में झुंझुनूं के अलावा कोई भी ऐसा जिला नहीं है जिसे यह सम्मान लगातार दूसरी या तीसरी बार मिला हो। यह झुंझुनूं जिले के लोगों की जागरूकता का सबूत है। प्रदेश का झुंझुनूं जिला 2011-12 में सबसे खराब लिंगानुपात के निचले स्तर पर था। लेकिन अब मात्र छह बरसों में राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ जिलों में शामिल हो गया है।

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File-Image: ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान.

देश के 25 श्रेष्ठ जिलों का तीन श्रेणी में किया जाता है चयन

2014 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए इस ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान में हर साल तीन श्रेणियों में 25 श्रेष्ठ जिलों का चयन किया जाता है। इसमें सामुदायिक सहभागिता, बालिका शिक्षा और पीसीपीएनडीटी की प्रभावी क्रियान्विति को आधार मानकर जिलों का चयन किया जाता है। झुंझुनूं जिले ने 2017 में सबसे पहले सामुदायिक सहभागिता श्रेणी में यह सम्मान हासिल किया। 2018 में बालिका शिक्षा में झुंझुनूं को यह पुरस्कार मिला। इस बार खुद पीएम मोदी झुंझुनूं को सम्मानित करने यहां आए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने झुंझुनूं की तारीफ करते हुए अन्य जिलों को भी इससे सीखने की बात कही थी।

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झुंझुनूं को इस बार पीसीपीएनडीटी एक्ट की प्रभावी क्रियान्विति मिला सम्मान

‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत इस बार झुंझुनूं जिले को यह पुरस्कार पीसीपीएनडीटी एक्ट का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए दिया गया है। यानी तीन सालों में तीन पुरस्कार से सम्मानित वो भी अलग अगल श्रेणी में, झुंझुनूं जिले को मिले हैं। ऐसा देश का कोई भी जिला अभी तक नहीं कर पाया है। राजस्थान में अब तक हुए 141 डिकॉय ऑपरेशन में से 40 फीसदी ऑपरेशंस में झुंझुनूं की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी रही है। इसमें झुंझुनूं की पीसीपीएनडीटी सेल ने या तो खुद कार्रवाई की है या फिर जिले की गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे के साथ दूसरे राज्यों में जाकर बेटी के भ्रुण हत्यारों को जेल पहुंचाने का काम किया है। राज्य के अन्य जिले इस मामले में झुंझुनूं से बहुत पीछे हैं। ऐसे में प्रदेश के अन्य जिलों को भी झुंझुनूं से सीखकर ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभानी चाहिए।