प्रजातंत्र में जनता चाहे तो क्या नहीं कर सकती, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आमेर तहसील के गांव रोजदा के वासियों ने। उन्होंने लगातार 353 दिन शराब के विरोध में धरना प्रदर्शन कर अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर काटे। आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश के बाद रविवार को हुए मतदान में ग्रामीणों ने शराब ठेके को नकार दिया।
राजसमंद के कछबली गांव के बाद दूसरा गांव बना रोजदा
रोजदा के 4206 मतदाताओं में से 2581 मतदाताओं ने मतदान किया, जिनमें शराब ठेका हटाने के पक्ष में 2270 मत पड़े। वहीं 170 मत विपक्ष में पड़े। 140 मत निरस्त हुए। मतदान की रिपोर्ट जिला कलक्टर को भेजी जाएगी, उसके बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले प्रदेश के राजसमंद जिले की भीम तहसील का कछबली गांव वर्ष 2016 में हुए मतदान के बाद शराब मुक्त गांव बना था।
कम रहा मतदान का प्रतिशत
शराबबंदी के लिए रोजदा में 61.65 प्रतिशत मतदान हुआ। जो कि सरपंच के मतदान से कम रहा। सरपंच पद के लिए करीब 85 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदान में पंचायत क्षेत्र के ढाणी कीरों के वासी एवं जैतपुरा के लोगों का रुझान कम रहा। मतदान में ग्रामीण महिलाओं में उत्साह नजर आया। युवाओं ने मतदान में कम भाग लिया।
शराब छोड़ विरोध में निकला
स्थानीय निवासी बाबूलाल मेहरा अधिक शराब सेवन से कैंसर से लड़ने के बाद ग्रामीणों के साथ पिछले दिनों से शराब के विरोध में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ग्रामीण बाबूलाल मेहरा रिक्शा लेकर पिछले दो दिन से ढाणी-ढाणी में शराबबंदी के पक्ष में मतदान करने की अपील की। जिसको देखकर गांव के लोगों में अलग की जज्बा पनपा, वहीं ग्रामीणों ने बाबूलाल के कार्य को सराहा।
हादसे के बाद जागे ग्रामीण
स्थानीय निवासियों के अनुसार पूर्व में रोजदा गांव में शराबियों के सड़क पर जमावड़े से घटित एक दुर्घटना में बाइक सवार दो भाइयों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जिसके बाद गांव से शराब की दुकान हटाने का निर्णय लिया।