प्रदेश की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर के लिए यह एक बड़ी खबर है। अब यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में पुराने जयपुर का परकोटा/चार दिवारी को भी शामिल होने जा रहा है। पुराने जयपुर का परकोटा और वहां बसा बाजार देश-दुनिया में अपनी एक खास व अलग पहचान रखता है। इसी के चलते इसे विश्व धरोहर के लिए प्रस्तावित किया गया है। यूनेस्को के 2017 में जारी हुए दिशा-निर्देशों के अनुसार एक राज्य एक साल में सिर्फ एक नामांकन कर सकता है। इस साल जयपुर के परकोटे को यूनेस्को की विश्व धरोहर के लिए नामित किया गया है। विश्व धरोहर की मान्यता मिलने के साथ यहां घरेलू व अंतराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
रियासतकालीन है पुराने जयपुर का परकोटा
जयपुर का परकोटा करीब 9 वर्ग मील में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई 30 फीट है। चौड़ाई का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि रियासतकाल में इस पर पहरेदारी के लिए 2 घुड़सवार एक साथ चलते थे। परकोटे में हवामहल बाजार से बापू बाजार और जौहरी बाजार में सबसे ज्यादा सैलानियों की आवाजाही रहती है। आम दिनों में 5 हजार और सीज़न में करीब 15 हजार सैलानी आते हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल होने के बाद यह संख्या दोगुनी-तीन गुनी होने की उम्मीद है।
वर्तमान में भारत में 37 विश्व विरासत
देश में इस समय 37 विश्व धरोहर स्थल हैं जिनमें ताजमहल, आगरा का किला, अजंता-एलोरा गुफाएं, फतेहपुर सीकरी और लाल किला परिसर आदि शामिल हैं। उक्त सभी विश्व धरोहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। यूनेस्को की सूची में हाल ही में मुंबई की 19वीं सदी के विक्टोरियन गोथिक शैली के भवनों और 20वीं सदी के आर्ट डेको भवनों को शामिल किया है। यह निर्णय बहरीन के मनामा में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 42वें सत्र में लिया गया था।
क्या है यूनेस्को की विश्व धरोहर
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में दुनियाभर के कुछ चुनिंदा स्थानों को चयनित एवं संरक्षित किया जाता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। इन स्थलों की देखरेख भी विश्व धरोहर समिति के द्वारा ही की जाती है। इनमें वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर आदि को शामिल किया जाता है। ऐसे स्थलों को कुछ खास परिस्थितियों में समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
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