अब से जयपुर के सामुदायिक भवनों में आयोजित होने वाली शादी या अन्य पारिवारिक समारोह में शराब और मांस नहीं परोसी जा सकेंगी। भाजपा की ‘जयपुर सरकार’ यानि जयपुर नगर निगम ने यह रोक लगाई है। तंबाकू सेवन पर भी रोक लगाई गई है। असल में शहर में होने वाली गंदगी पर कुछ हद तक लगाम लगाने के लिए जयपुर नगर निगम ने यह फैसला किया गया है। पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में जयपुर 39वें स्थान पर था और यह सर्वे फिर से शुरू हो गया है। ऐसे में यह फैसला लिया गया है। हालांकि कांग्रेस सरकार ने इस फैसले को जनहित के खिलाफ ठहराते हुए पुर्विचार की मांग की है।
बीजेपी ने सिर्फ सियासी मकसद से फैसला किया है। इस फैसले से एक बड़ा वर्ग निगम के इन भवनों का उपयोग करने से वंचित हो जाएगा। – कांग्रेस
असल में मौजूदा समय में शादी सहित अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों का समय चल रहा है। ऐसे में कई सामुदायिक केन्द्रों पर मांस के साथ शराब इत्यादि परोसा जाता है और अगले दिन उसे आसपास के इलाकों में यूं ही फेंक दिया जाता है जिससे आवारा पशु मुंह मारते फिरते हैं। ऐसे में न केवल गंदगी फैलती है बल्कि स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग फिसलने की पूरी आशंका है। जैसा कि जयपुर के महापौर ने कहा है, ‘सामुदायिक भवनों में मांसाहार के सेवन से गंदगी होती है। आसपास के लोग शिकायत भी करते हैं इसलिए रोक लगाई है।
दूसरी ओर कांग्रेस इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए हो हल्ला कर रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सिर्फ सियासी मकसद से फैसला किया है। इस फैसले से एक बड़ा वर्ग निगम के इन भवनों का उपयोग करने से वंचित हो जाएगा। कांग्रेस ने फैसले पर निगम पुनर्विचार करने की मांग की है।
बता दें जयपुर को देश के मॉर्डन सिटी बनाने की लिस्ट में काफी पहले सलेक्ट किया जा चुका है। ऐसे में शहर में नई टेकनोलॉजी के साथ स्वच्छता पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। इस फैसले के बाद शहर में हो रहे गलत कामों में भी कमी आएंगी। हालांकि इस फैसले के बाद कुछ लोगों पर इसका असर पड़ सकता है लेकिन अगर फैसला जनता के हित में हो तो इसके दूरगामी परिणाम भी सामने आ सकते हैं।
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