चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि इस समय राजस्थान सरकार के पास करीब तीन हजार चिकित्सकों की कमी है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता बरकरार रहे, इसीलिए सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के चिकित्सकों की रिटायरमेंट की आयु 62 से 65 वर्ष करने का निर्णय किया है। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में करते हुआ चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने बता कही।
इस मौके पर चिकित्सा मंत्री ने कहा, ‘चिकित्सकों की रिटायरमेंट की आयु सीमा में बढ़ोत्तरी के विषय में युवा चिकित्सकों का यह सोचना कि उनके हितों पर कुठाराघात होगा, यह निराधार है। प्रदेश में नए मेडीकल कॉलेज भी शुरू करने हैं और उसमें फेकल्टी की कमी को पूरा करना है। ऐसे में सरकार को यह निर्णय सोच समझकर ही लेना पड़ रहा है।’
वसुन्धरा सरकार ने हाल ही में सेवारत चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की है। इस फैसले के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से युवा चिकित्सकों के हितों पर कुठाराघात बताते ही इस फैसले को बदलने की गुहार लगाई थी। साथ ही एक अप्रैल से फिर से हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है। उनके अनुसार, सरकारी सेवाओं में जाने का ख्वाब देख रहे सैंकड़ों युवा चिकित्सकों को इससे नुकसान झेलना पड़ सकता है। आपको बता दें कि राजस्थान सरकार ने पीजी सीट्स पर संकट का तर्क देते हुए डॉक्टर्स की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 साल करने की मंजूरी दी है। अब इस मामले में मेडिकल टीचर्स और रेजिडेंट आमने-सामने आ गए हैं।
वार्ता में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने यह भी स्पष्ट किया कि 62 वर्ष की आयु पूरी कर चुके सीनियर प्रोफेसर, जो अभी प्रशासनिक पदों पर हैं, वह भी नियमानुसार अपने पद पर नहीं रह पाएंगे।