इंजीनियर्स की मौजूदा हालातों के बावजूद एक आईआईटीएन ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ खुद का स्टार्टअप खड़ा किया। उसने एक मोबाइल ऐप बनाया जिससे करीब 2.5 लाख मरीजों को सीधे तौर पर फायदा मिला। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है ‘क्यूरोफाई’ कंपनी के फाउंडर निपुन गोयल ने। यहां तक की हाल ही में फोर्ब्स इंडिया ने ’30 अंडर 30-2018′ की जारी लिस्ट में निपुन गोयल को भी शामिल किया गया है। इस काम में निपुन के दो दोस्तों पवन गुप्ता (26) और मुदित विजयवर्गीय (27) ने भी साथ दिया है जिनका नाम भी इस लिस्ट में शामिल है।
इन तीनों आईआईटीयंस ने मिलकर ‘क्यूरोफाई’ नाम की एक कम्पनी और इसी नाम से डॉक्टर्स के लिए एक खास तरह का मोबाइल ऐप भी बनाया है। ये ऐप सही सूचनाएं और जानकारी साझा कर डॉक्टर्स को पेशेंट के बेहतर इलाज में हेल्प करता है। उनके मोबाइल ऐप से सवा दो लाख डॉक्टर्स जुड़े हैं। इस ऐप को डाउनलोड करने वाले डाक्टर्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
कैसे काम करता है क्यूरोफाई ऐप
क्यूरोफाई ऐप वेरीफाईड डॉक्टर्स का एक नेटवर्क है जिससे देशभर के करीब सवा दो लाख वैरीफाइड डॉक्टर्स जुड़े हुए हैं। इस ऐप के माध्यम से गांव में बैठा एक डॉक्टर जिसे किसी मरीज के इलाज के सम्बन्ध में कोई जानकारी चाहिए तो वह उस मरीज के इलाज से जुड़े दस्तावेज बाकी डॉक्टर्स से शेयर कर सकता है और उनसे सलाह ले सकता है। इसके लिए डॉक्टर को मरीज की मेडिकल रिपोर्ट को ऐप के जरिए पोस्ट करनी होती है। रिपोर्ट को पोस्ट करने के बाद उस एप को यूज कर रहे सभी वैरीफाइड डाक्टर्स तक पहुंच जाती है। यह ऐप देश भर के डाक्टर्स को मरीज के केस और इलाज से सम्बन्धी जानकारी आपस में शेयर करने में मदद करता है।
राजस्थान से जुड़ी है पृष्ठभूमि, 2 साल बाद छोड़ी जॉब
निपुन (27) का जन्म 8 जनवरी, 1990 को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में हुआ था। मेरे पिता शंकरलाल किराने का होलसेल बिजनेस करते थे। मां उर्मिला देवी हाउस वाइफ हैं। हनुमानगढ़ में स्कूलिंग के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उसी साल उनका परिवार झुंझुनू में आकर बस गया। आईआईटी में एडमिशन लेने के बाद निपुन की मुलाकात पवन और मुदित से हुई। पढ़ाई के दिनों में ही निपुन ने मेडिकल टूरिज्म में काम करना शुरू कर दिया था। 2012 में पढ़ाई पूरी कर वह 2 साल तक एक इन्वेस्टमेंट बैंक में जॉब करता रहा। उसके बाद उसने खुद का स्टार्टअप शुरू करने की सोच जॉब छोड़ दी और पवन व मुदित को साथ आने के लिए तैयार किया।
पांच लाख रूपए में शुरू किया स्टार्टअप
इन तीनों ने काफी रिसर्च करने के बाद मेडिकल टूरिज्म के फिल्ड में काम करने का फैसला किया। दोस्तों के साथ मिलकर 2015 में पांच लाख रूपए के साथ ‘911 India’ नाम से खुद का स्टार्टअप शुरू किया। बाद में उन्होंने सोचा कि क्यों न डॉक्टर्स के लिए एक ऐसा ऐप बनाया जाए, जिससे उनकी प्रैक्टिस को और आसान बनाया जा सके। बस वहीं से ‘क्यूरोफाई’ ऐप बनाने का आईडिया आया। बाद में ‘911 India’ कम्पनी का नाम चेंज करके क्यूरोफाई कर दिया।
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