पूरे देश में (वस्तु एवं सेवा कर) जीएसटी लागू हो जाने पर आमजन को अनेकों फायदे होने के आसार बनेंगे। इसमें उपभोक्ता और विक्रेता दोनों को अपने-अपने स्तर पर लाभ मिलेगा। जीएसटी के फायदों में यह बात तो सम्मिलित थी कि इस प्रणाली के लागू हो जाने के बाद निर्माणाधीन फ्लैट और कॉम्प्लेक्स बनाने का खर्च कम होगा। अब तक इससे पूरा फायदा निर्माणकर्ता यानि बिल्डर को मिलता लेकिन आम देशवासी के हित को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में यह बात कही कि जीएसटी द्वारा मकान या फ्लैट की निर्माण लागत में जो कमी आएगी, उसका सीधा फायदा कस्टमर्स को मिलना चाहिए। अगर कोई बिल्डर यह फायदा अपने ग्राहक तक नहीं पहुंचाता है तो इसे मुनाफाखोरी माना जाएगा। खरीददार को उसका लाभ नहीं देने वाले बिल्डर पर कानूनी कार्यवाही होगी।
मिलने लगेगा इनपुट क्रेडिट:
वर्तमान कर व्यवस्था के अंतर्गत भवन निर्माण सामग्री पर एक्साइज ड्यूटी, वैट और एंट्री टैक्स लगता है। लेकिन इनका कोई इनपुट क्रेडिट नहीं मिल पाता है। जीएसटी लागू होने के बाद अब पूरा क्रेडिट मिलेगा। इसका सीधा मतलब है कि बिल्डर इन सब चीजों पर जो टैक्स अदा करेगा, वह उसे वापस मिल जाएगा। जीएसटी में अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट और कॉम्प्लेक्स के लिए निर्माण कार्य की लागत पर कुल 12% टैक्स रेट तय की गयी है।
अभी तो निर्माण वस्तु पर ही लग जाता है, 30% तक टैक्स:
वर्तमान में तो भवन निर्माणकार्य में काम आने वाले अधिकतर मटेरियल पर 12.5% एक्साइज लगता है। सीमेंट पर यह इससे भी ज्यादा वसूला जाता है। इसके अतिरिक्त इन सामानों पर 12.5%-14.5% तक वैट भी जुड़ता है। इन सामानों को एक राज्य से दुसरे में ले जाने पर राज्य 2% तक एंट्री टैक्स भी वसूलते हैं। आख़िर में जब उपभोक्ता फ्लैट खरीदता है, तब उस पर 4.5% की दर से सर्विस टैक्स भी लगता है। इस तरह कोई फ्लैट जब तक तैयार होकर ग्राहक तक पहुँचता है, उसकी वास्तविक लागत में करीब 35% तक टैक्स जुड़ जाता है। टुकड़ों में लगने वाले यह कर किसी भी मकान की कीमत को बहुत हद तक बढ़ा देते है। अब इन सभी कर को दरकिनार करते हुए जीएसटी में सिर्फ 12% ही टैक्स लगेगा। सरकार के इस निर्णय का फायदा बिल्डर और खरीददार दोनों को मिलेगा।
तो कुछ ऐसी होगी व्यवस्था:
जीएसटी लागू हो जाने के बाद निर्माण कार्य में लगने वाले हर टैक्स का इनपुट क्रेडिट मिलेगा। इसके तहत कंस्ट्रक्शन मटेरियल पर एक्साइज, वैट और एंट्री टैक्स के रूप में बिल्डर ने जो रकम चुकाई है, उसका पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा। फ्लैट को बेचने पर लगने वाला सर्विस टैक्स और कंपोजिशन वैट भी खत्म हो जाएगा। इन सबकी जगह सिर्फ 12% टैक्स लगेगा। बिल्डर को अपने इस 12% टैक्स को एडजस्ट करने के लिए इनपुट क्रेडिट मिलेगा। मटेरियल पर लगने वाले कर का अभी कोई क्रेडिट नहीं मिलता। बिल्डर ये पैसे चुकाते हैं और फ्लैट की कीमत में इसे जोड़कर ग्राहक से ले लेते हैं। लेकिन गुरुवार को वित्त मंत्रालय के लिए गए इस फैंसले से अब बिल्डर भी घाटे में नहीं जायेगा, और ग्राहक भी ठगा नहीं जायेगा।