हर जगह इस बात पर चर्चा हो रही है कि इस बार बीजेपी चुनाव में हार रही है या जीत रही है. हमने भी जयपुर शहर के आस—पास के ग्रामीण इलाकों में लोगों से चाय पर चर्चा की और लोगों की राय जानी। दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के लिए हर किसी का अपना—अपना मत और आकलन है। ज्यादतर लोग समझाने के अंदाज में बताने में लगे थे कि कैसे वसुंधरा राजे वापस नहीं आ रही हैं, तो कुछ लोग बीच-बीच में अपना मत प्रकट कर रहे थे कि सीएम राजे को हल्के में मत लेना. कुछ कह रहे थे कि मोदी प्रचार की शुरुआत करेगा तो बाजी पलट जाएगी। तो वहीं कुछ का कहना था कि अभी तो प्रदेश में योगी की भी रैली होनी है और उनसे बड़ा हिंदुत्व का चेहरा पूरे देश में दूसरा कोई नहीं है।
फौरी अफवाह और भेड़ चाल के भरोसे कांग्रेस कर रही जीत का दावा
आगे चले तो कुछ और लोग हमें मिले उनका आकलन था कि वसुंधरा राजे के खिलाफ लोगों में इतनी नाराजगी है कि कोई वोट देने के लिए तैयार नहीं है। सामने बैठे 70 साल के एक बुजुर्ग ने कहा कि वसुंधरा ने ऐसा क्या बिगाड़ा है जो लोग नाराज हैं, कोई काम नहीं किया? बगल में बैठे युवा ने कहा कि पांच साल में केवल मलाई खाई है। बीच में टोकते हुए मैं भी इस चर्चा में शामिल हो गया और लोगों से पूछा, कहां और क्या मलाई खाई है। कोई भी आरोप तो नहीं है जिसे दमदारी के साथ कांग्रेस वसुंधरा राजे के खिलाफ लगा रही हो। यह सुनते ही सभी लोग चुप हो गए. किसी ने कुछ भी नहीं कहा। और, लोगों की इस खामोशी ने मेरे सवाल का जवाब दे दिया कि फौरी अफवाह के तौर पर लोग भेड़ चाल में चल रहे हैं जबकि, मौजूदा समय में मुख्यमंत्री पर कोई भी ऐसा आरोप नहीं जिससे कांग्रेस उन्हें और भाजपा को सीधे तौर पर घेर सकें।
वसुंधरा राजे की सवाई माधोपुर से ट्रेन की यात्रा या फिर संभाग स्तर पर लोगों से मिलने जुलने का कार्यक्रम हो, सभी जगह वसुंधरा राजे की मौजूदगी एक जननेता के रूप में दिखती रही हैं। इतना ही नहीं अपनी गाड़ी से लाल बत्ती उतार दी। आगे पीछे चलने वाले सुरक्षा गाड़ियों का काफिला कम कर लिया। रेड लाइट पर रुक कर आम जनता के साथ हरी बत्ती का इंतजार करना उनकी आदत में शुमार हो गया, और शायद इसी वजह से लोग अपनी जननेता को पसंद भी करते हैं। वसुंधरा राजे से मिलने वाला मिलकर बस मुरीद बना आता है और कहता कि मैडम ऐसी नहीं है, मैडम तो बहुत ही अच्छी हैं, आस-पास वालों ने अपनी दुकान बचाने के लिए घेर रखा है, डराते रहते हैं कि आप किसी से बात मत करो, आप कुछ बोलो मत, आप कहीं पर जाओ मत।
वसुंधरा राजे करिश्माई नेतृत्व की नेता है। एक बिंदास टच है उनके लहज़े में। वसुंधरा राजे का किसी के कंधे पर हाथ रखकर उसके परिवार के बारे में पूछ लेना, राह चलते किसी बुजुर्ग के आंख से चश्मा उतार कर अपनी साड़ी के पल्लू से पोंछ कर उसे वापस पहना देना, किसी कॉलेज के प्रोग्राम में जाने पर लड़कियों के साथ डांस करना। मुख्यमंत्री का ये अंदाज लोगों को बेहद आत्मीयता वाला लगता है। सीएम राजे का आम जनता के साथ यूं मिलना जैसे उन्हीं में से एक हों सबको लुभाता है।