केन्द्र सरकार की गोवर्धन योजना के चलते प्रदेश सहित देशभर के कई गांवों में लकड़ियों के धुएं से मुक्ति मिल सकेगी। योजना के तहत राजस्थान के सिरोही जिले की ऊड ग्राम पंचायत का चयन किया है। अब यहां गोवर्धन योजना के अंतर्गत जल्द बायोगैस संयंत्र स्थापित होगा। इससे गांव में लकडियों के चूल्हे की जगह गैस चुल्हे पर खाना पक सकेगा और धुएं से भी निजात मिलेगी। यही नहीं, स्थानीय काश्तकारों को गांव में ही उच्च गुणवत्ता वाली खाद भी मिलेगी। इसके लिए यहां चयनित प्रक्रिया शुरू हो गई है।
क्या है गोवर्धन योजना के मायने
मोदी सरकार की ओर से गोवर्धन योजना के तहत गांवों में बायोगैस बनाए जाने की योजना बनी थी। योजना के तहत स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन में देश के 300 ग्राम पंचायतों में से एक-एक ग्राम पंचायत को शामिल किया जाना है। साथ ही प्रदेश के सभी जिलों से एक-एक ऐसी ग्राम पंचायत का चयन करना है, जिसमें बायोगैस बनाने की क्षमता हो। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने प्रदेश के समस्त जिला परिषद के सीईओ को गोबर की उपलब्धता वाली एक-एक ग्राम पंचायत का चयन करने के निर्देश जारी किए हैं।
150 परिवार को मिलेगी प्राथमिकता
गोवर्धन योजना के तहत जिले की जिस ग्राम पंचायत में पशुधन की संख्या 30 से 40 फीसदी होगी, उसी को इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी। योजना के तहत ग्रामीणों के समूह में पहली प्राथमिकता महिला स्वयं सहायता समूह की होगी। जिस पंचायत का चयन होगा, उस गांव में कम से कम 150 परिवार होंगे। इससे उस पंचायत को पशुधन अधिक होने का लाभ मिलेगा।
गोवर्धन योजना के लाभ
चयनित गांव में बायोगैस तैयार होगी। इसके लिए गांव में एक निर्धारित स्थान पर संयंत्र बनेगा। इस संयंत्र में गांव के सभी पशु पालक गोबर डालेंगे। इससे बनने वाली गैस से इन्ही ग्रामीणों को कनेक्शन जोड दिए जाएंगे जिससे वे घरों में गैस का चूल्हा जला सकेंगे। इससे ग्रामीणों को तीन मुख्य लाभ होंगे।
1. आसपास के जंगल सुरक्षित होंगे।
2. गैस उपलब्ध हो जाएगी।
3. गुणवत्ता युक्त खाद आसानी से मिल जाएगी।