आज के समय राजस्थान में किसान कर्जमाफी को एक अवसर मात्र बनाकर रख दिया है। किसी को ना तो ये बात बार-बार कहने की ज़रूरत है, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। न ही ये बताने की आवश्यकता कि हिंदुस्तान की 70 प्रतिशत आबादी आज भी खेती पर ही निर्भर करती है। ये बात भी हर समझदार व्यक्ति जानता है कि देश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा भी खेती और किसानी पर ही निर्भर करता है। मतलब अगर किसान और खेत की हालत अच्छी नहीं तो समझो देश के हालात भी ठीक नहीं हैं। फ़िर चाहे हम उसे अकाल कहें या अक़्ल का काल। और केवल 70 फ़ीसद ही क्यों प्रत्येक व्यक्ति खेती पर ही तो आश्रित है। क्योंकि भूखे पेट तो गोपाला के भी भजन नहीं होते। मगर आज सबका पेट भरने वाले अन्नदाताओं के पेट ही ख़ाली हैं। फिर वो देश का पेट कैसे भरेंगे।
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राजस्थान में किसान कर्जमाफी के नाम पर सिर्फ़ सरकारें ही बदलती रही हैं
हमारे राजस्थान में किसान कर्जमाफी और बेरोज़गारी ऐसे मुद्दे हैं। जिकने दम पर देश में और किसी भी राज्य में सरकारें बन भी सकती हैं। और बिगड़ भी सकती हैं। किसी राजनैतिक पार्टी के लिए ये दोनों ही बहुत अहम मुद्दे हैं। जिन पर हर चुनाव लड़ा जाता है। जिसका ताजा उदाहरण हमनें 2018 में हुए तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में देखा। जहां देश की दोनों की प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने हर प्रकार से किसान कर्ज़माफ़ी और बेरोज़गार का प्रलोभन दिया। हाँ…! चुनावों के वक़्त जो भी घोषणायें की जाती हैं, वे प्रलोभन ही तो होती हैं। जिस पार्टी के जितने बड़े प्रलोभन उस पार्टी की उतनी ही बड़ी जीत। तीनों राज्यों में कांग्रेस ने किसानों और बेरोज़गार को जमकर लालच दिया। नतीजा कांग्रेस की सरकार तीनों राज्यों में स्थापित है। लेकिन उतनी बड़ी जीत हासिल नहीं हुई, जितने बड़े प्रलोभन दिए गए थे।
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वसुंधरा सरकार ने राजस्थान में किसान कर्जमाफी से किसानों को सम्बल दिया
राजस्थान में हर पांच साल में बदलती राजनीति के बावज़ूद भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किसनों के हित में काफ़ी कुछ किया। भाजपा की वसुंधरा सरकार ने पहले तो लघु व सीमांत किसानों का 50 हज़ार रुपये तक का ऋण माफ़ किया। पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश के 30 लाख किसानों की राजस्थान में किसान कर्जमाफी की। जिसमें सरकार ने 9000 करोड़ रुपये के अल्पकालीन लोन माफ़ किये थे। फिर किसानों को मुफ़्त कृषि कनेक्शन दिए गए। तथा बाद में किसानों के लिए सम्पूर्ण कृषि बिजली मुफ़्त देने की घोषणा भी कर दी। इन सब प्रत्यक्ष लाभों के आलावा किसान क्रेडिट कार्ड, मृदा संरक्षण, खाद-बीज उपलब्ध कराना। यूरिया की समय पर उपलब्धि और सब्सिडी। उत्तम गुणवत्ता के कीटनाशक मुहैया करवा कर प्रदेश में उत्पादन को कई गुना बढ़ाया था। राजस्थान में कई फ़सलें तो ऐसी हैं, जिनके उत्पादन में पिछले पांच वर्षों में पांच गुना तक वृद्धि हुई।
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गहलोत सरकार ने राजस्थान में किसान कर्जमाफी तो दी मगर ठग लिया
जैसा की हमने आपको ऊपर बताया कि इस बार के चुनाव प्रलोभन देकर लड़े गए थे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने भी जनता, किसान, युवा और बेरोजग़ारों को ख़ूब लालच दिया। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो सरकार बनाने के दस दिन में राजस्थान में किसान कर्जमाफी का वादा कर दिया था। और हिंदुस्तान की वही पुरानी आदत। प्रलोभनों के जाल में फंसकर जनता कांग्रेस को चुन बैठी। जनता ने तो क्या चुना, कांग्रेस को उन लोगों ने चुना। जिन्हें लगा की हमनें जो कर्ज़ किसानी के नाम पर लिया उससे पिंड छूट जायेगा। लेकिन दस दिन तो छोड़ो 100 दिनों बाद तक भी किसानों के कर्ज़ माफ़ नहीं हुए। फिर जब गहलोत सरकार पर किसानों और विपक्ष का दवाब बढ़ने लगा। तो सरकार ने किसानों को किसान कर्ज़माफ़ी प्रमाण पत्र देने के लिए शिविर लगाने चालू किये।
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कांग्रेस की राजस्थान में किसान कर्जमाफी के बाद भी हालत जस के तस हैं
कांग्रेस राजस्थान के किसानों का ऋण तो माफ़ कर दिया। मगर सिर्फ़ उन लोगों की राजस्थान में किसान कर्जमाफी हुयी है। जिन्होंने सरकारी या सहकारी बैंकों से लोन लिया हुआ था। जिसने साहूकार और निजी बैंकों से कर्ज़ ले रखा था, वे तो आज भी कर्ज़दार ही हैं। ऐसे में भला किसका हुआ? जो या तो बहुत ज़्यादा पढ़ा-लिखा किसान है। जिसने सरकार की सभी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए, बैंकों से लोन लिया। या वे किसान लोन तो ले लेते हैं, लेकिन आदतानुसार समय पर जानबूझ कर ऋण चुकाते नहीं हैं, यानि डिफ़ॉल्टर। जो विचारे ईमानदार और समय पर ऋण चुकाते थे, या जिन्होंने कभी किसी बैंक से कोई ऋण नहीं लिया उन्हें तो कोई लाभ नहीं हुआ। उनकी स्थित तो आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी। किसान कर्ज़माफ़ी के नाम पर राजस्थान किसानों के साथ धोख़ा हुआ है। छलावा हुआ है। विश्वासघात हुआ है।
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