जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एसएमएस अस्पताल में शुक्रवार तड़के लगी आग के बाद से चिकित्सा महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। चिकित्सालय परिसर में एक दवा दुकान के स्टोर रूम में लगी आग से एक महिला मरीज की मौत हो गई। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने महिला की मौत आग से नहीं होना बताया है। वहीं आग की लपटों और धुएं के गुबार से हजारों मरीजों व स्टाफ की जान भी मुश्किल में पड़ गई, हालांकि मौके पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया जिससे स्थिति ज्यादा विकराल नहीं हुई। लेकिन आग की इस घटना के बाद मंत्री व डॉक्टर सहित हर कोई इस बात को लेकर सवाल कर रहा है कि आखिरकार बिना किसी शॉर्ट सर्किट के दवा स्टोर में आग कैसे लग गई। इसके पीछे की सच्चाई और कुछ ही है जिसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी प्रशासन की ओर से नहीं दी जा रही है।
दवा स्टोर में भ्रष्टाचार की आशंका, जानबूझकर लगाई गई आग ?
जिस दवा की दुकान में आग लगी, उस फर्म से अस्पताल प्रशासन को पेनल्टी के रूप में करोड़ों रुपये लेने थे। वहीं आग से अधिकतर दस्तावेज जलकर राख हो गए। जबकि इससे पहले अस्पताल प्रशासन ने फर्म के मालिक को दस्तावेजों को सौंपने की चेतावनी दी थी, क्योंकि इसका ठेका 3 दिन बाद ही नई फर्म को दिया जाने वाला था। ऐसे में संदेह है कि दवा स्टोर में आग जानबूझकर भी लगाई जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक आग लगने के मामले में भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई जा रही है।
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई है। आग लगने के बाद वहां मौजूद फायर फायटिंग सिस्टम काम नहीं कर सका और मौजूद गार्ड व सुरक्षाकर्मियों ने भी कोई मदद तक नहीं की। अग्निशमन यंत्रों का बंद मिलना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। हालांकि इस मामले पर अस्पताल प्रशासन ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है जो अतिशीघ्र जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।