जयपुर। राजस्थान के अलवर के सरिस्का वन अभ्यारण्य के अकबरपुर रेंज के बालेटा के जंगलों में लगी आग बेकाबू होती नजर आ रही है। सरिस्का के तीनों रेंज के स्टाफ, ग्रामीण और प्रशासन मौके पर जुटे हैं पर 30 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। आग जंगल के 10 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में फैल चुकी है। बाघिन ST-17 और उसके 2 शावक भी इसी इलाके में घूम रहे हैं। इससे सरिस्का प्रशासन की चिंता और बढ़ गई है। अब सेना से मदद मांगी जा रही है। वहीं, आसपास के चार गांवों को सुरक्षा की दृष्टि से खाली करवाया जा रहा है। आग बुझाने के लिए अब हेलिकॉप्टर व एरियल लिफ्ट फायर ब्रिगेड से मदद मांगी गई थी। इसके बाद मंगलवार सुबह हेलिकॉप्टर पहुंचा और सर्वे पूरा किया।
कई गांव भी खाली करवाए गए
अधिकारियों ने बताया कि अब हेलिकॉप्टर की मदद से पानी एयरलिफ्ट कर आग बुझाने का प्रयास किया जाएगा। सरिस्का व अलवर की तीन रेंज का स्टाफ और ग्रामीणों सहित 200 से ज्यादा लोग आग बुझाने में लगे हैं। सेना से भी मदद मांगी गई है। सरिस्का क्षेत्र के भाटक्याला, नयागांव, प्रतापपुर और बालेटा गांवों में वनक्षेत्र के पास बसी आबादी को भी खतरा बना हुआ है। सरिस्का के कई गांव भी खाली करवा लिए गए हैं।
10 किमी से ज्यादा एरिया में फैली आग
नायब तहसीलदार खेमचंद सैनी ने बताया कि कानूनगो से मिली रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार सुबह तक 10 किलोमीटर से ज्यादा एरिया आग की चपेट में आ गया है। रविवार को बालेटा पृथ्वीपुरा नाका स्थित पहाड़ियों में आग लग गई थी। इसके बाद रविवार रात करीब 8 बजे से ही वन कर्मियों और ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन, अब तक आग पर काबू नहीं पाया गया। सोमवार शाम आग का फैलाव नारंडी, रोटक्याला और बहेड़ी तक हो गया है।
आज दो हेलिकॉप्टर पहुंचे
आग बुझाने के लिये हेलिकाप्टर मंगवाये गये हैं। मंगलवार को सुबह 9 बजे सेना के दो हेलिकॉप्टर अलवर पहुंचे और सिलीसेढ झील से पानी एयरलिफ्ट कर आग बुझा रहे है। जिला प्रशासन ने आग प्रभावित इलाके और सिलिसेड झील का जीपीएस सेना को उपलब्ध करा दिया है। पुलिस ने गांवों में अनाउंसमेंट कर ग्रामीणों को वन्य जीवों और आग से अलर्ट रहने के लिए कहा है।
बाघ एसटी-20, एसटी-17 व एसटी-14 नारंडी क्षेत्र में, आग से घिरे
अकबरपुर रेंज में जहां आग लगी है, वह बाघों की नर्सरी है। यही सबसे बड़ा खतरा है। यहां के नारेंडी एनीकट पर 26 मार्च को बाघिन एसटी-17 का लगातार मूवमेंट था। पगमार्क मिले और डायरेक्ट साइटिंग भी हुई थी। उसके साथ दो शावक भी हैं। रोटक्याला वन खंड में बाघ एसटी-20 और एसटी-14 घूम रहे हैं। ऐसे में केवल मौजूदा टाइगर व तेंदुए को खतरा है, बल्कि चिंता की बात ये है कि सरिस्का की आबादी बढ़ाने के लिए सबसे मुफीद जंगल आग में तबाह हो रहा है।