यूं तो राजस्थान की रंगीली घरती को त्योहारों का आंगन ही कहा जाता है। यहां साल का एक भी महीना ऐसा नहीं जिसमें त्योहारों के रंगों की गुलाल न उड़ती हो। लेकिन अक्टूबर महीना कुछ खास है। इस महीने की शुरुआत के साथ ही अगले कुछ महीनों तक त्योहारों की बाढ़ सी आ जाती है। इस महीने भी कुछ ऐसे ही खास त्योहार आपके दरवाजों पर दस्तक देने वाले हैं। आइए जानते हैं इस त्योहारों के बारे में …
1. शारदीय नवरात्र
2. आभानेरी फेस्टिवल
3. दशहरा
4. ऐडवेंचर फेस्टिवल
5. मारवाड़ फेस्टिवल
1. शारदीय नवरात्र (10-18 अक्टूबर)
सबसे पहले बात करते हैं शारदीय नवरात्र की। नवरात्र 10 अक्टूबर यानि आज से शुरु हो गए हैं। 9 दिवसीय यह त्योहार प्रदेश ही नहीं, अपितु देशभर में बड़े चाव से मनाया जाता रहा है। घर—घर में 9 दिनों के लिए देवी माता की स्थापना की जाएगी। 9 दिनों की नवरात्रि होना देश में खुशहाली का संकेत है। नवरात्र में 9 दिनों में हर दिन व्रत रखने का अलग-अलग फल मिलता है। नवरात्र के बाद गरबा और डांडियों की खनक के लिए आप भी पूरी तरह से तैयार होंगे ही।
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2. आभानेरी फेस्टिवल (11-12 अक्टूबर)
आभानेरी फेस्टिवल जयपुर से करीब 90 किमी.दूर दौसा जिले में स्थित आभानेरी गांव (आगरा रोड) के नाम पर रखा गया है। आभानेरी गांव का मूल रूप से आभा नगरी नाम दिया गया था, जिसका अर्थ है ‘चमक का शहर’। यह स्थान चांद-बावड़ी एवं चरण कुएं के लिए लोकप्रिय है, जो हजारों साल पहले बनाए गए सबसे बड़े कदम कुओं में से एक है। राजस्थान पर्यटन द्वारा शुरू किया आभानेरी महोत्सव प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दो दिवसीय त्योहार ने दुनिया भर के पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रियता हासिल की है। यह फेस्टिवल 11 अक्टूबर को विभिन्न रंगीले राजस्थानी और स्थानीय लोक प्रदर्शनों जैसे काची घोरी, कालबेलिया, घुमर और भावाई के साथ शुरू होगा। इन 2 दिनों में पारंपरिक राजस्थानी संगीत के साथ ठेठ देहाती माहौल का मिला-जुला स्वरुप देखने को मिलेगा।
3. दशहरा (18 अक्टूबर-5 नवम्बर)
सभी जानते हैं कि दशहरा का त्योहार रामायण काल में लंकापति रावण यानि बुराई पर अच्छाई के प्रतीक श्रीराम की जीत की खुशी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन रावण सहित मेघनाथ एवं कुंभकरण के पुतले फूंके जाते हैं लेकिन कोटा जिले में खास तौर पर दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। 10 दिन तक चलने वाली इस धूम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ विदेशी पर्यटक भी भाग लेते हैं। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और देसी-विदेशी पर्यटक पारंपरिक वेशभूषा (पगड़ी-धोती) आदि में नजर आते हैं। अंतिम दिन 75 फीट से भी लंबे रावण-कुंभकरण-मेघनाथ के पुतले रंगीन आतिशबाजीयों के साथ जलाए जाते हैं।
4. ऐडवेंचर फेस्टिवल (18 अक्टूबर-5 नवम्बर)
दुनिया के 7 अजूबों को अपने आंचल में सिमेटे शिक्षा नगरी यानि कोटा शहर में हर साल ऐडवेंचर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। यह फेस्टिवल वास्तव में दशहरा फेस्टिवल का ही एक पार्ट है जिसे मूल रुप में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरु किया गया है। यह फेस्टिवल उन खेल प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है जिन्हें खतरों से डर नहीं लगता या जो खतरों के खिलाड़ी हैं। कोटा के ऐडवेंचर फेस्टिवल में दुनियाभर से पैरासेलिंग, राफ्टिंग, विंड सर्फिंग, वॉटर स्कीइंग व बोटिंग जैसे ऐडवेंचर गेम्स में भाग लेने प्रतिभागी यहां आते हैं। किलकिलाती हुई चंबल नदी पर 10 दिनों तक चलने वाले आश्चर्यजनक व साहसिक महोत्सव दर्शकों की धड़कनों को उत्तेजित करने वाले साबित होते हैं। इनके अलावा, रॉक क्लाइंबिंग, ग्लाइडिंग, ट्रेकिंग, एनलिंग और ग्रामीण भ्रमण का एक्सपीरियंस भी शानदार है।
5. मारवाड़ फेस्टिवल (23-24 अक्टूबर)
रंगीले जोधपुर में सितम्बर से अक्टूबर महीने में मनाया जाने वाला मारवाड़ महोत्सव राजस्थान के वीरों की याद में मनाया जाता है। यह है तो केवल 2 दिवसीय फेस्टिवल लेकिन पूरे साल के लिए दिनों में यादे बनकर बस जाता है। इसे मूल रूप से माण्ड फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है। इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण लोक संगीत राजस्थान के शासकों की जीवन शैली के आसपास केंद्रित है। मारवाड़ क्षेत्र का संगीत और नृत्य इस त्यौहार का मुख्य विषय है। मारवाड़ फेस्टिवल में प्रदेशभर के लोक नर्तकियों और गायक गत्योहार में इकट्ठे होते हैं और अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन करते हैं। लोक कलाकार आपको अपने गानों के माध्यम से यहां के रणबांकुरों और वीरों की एक झलक पर्यटकों के सामने रखते हैं। फेस्टिवल के अन्य आकर्षणों में कैमल टैटू शो और मूंछ, पगड़ी टाईंग, टग ऑफ वॉर, मटका रेस, पारंपरिक ड्रेस प्रतियोगिता शामिल हैं।
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