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शारदीय नवरात्र का अश्विन शुक्ल प्रतिपदा 10 अक्टूबर (बुधवार) से शुरु हो रहा है। ऐसे में घर—घर में 9 दिनों के लिए देवी माता की स्थापना की जाएगी। इस साल भी तिथि क्षय नहीं होने से नवरात्रि पूरे 9 दिन की रहेगी। इस बार मां दुर्गा बुधवार को नाव पर सवार होकर आ रही हैं। नौकावाहन पर माता के आने से सर्वसिद्धि प्राप्ति होती है। पूरे 9 दिनों की नवरात्रि होना देश में खुशहाली का संकेत है। ये लगातार दूसरा साल है जब शारदीय नवरात्रि 9 दिनों की है। 2019 में भी ऐसा ही रहेगा।

यह होगा घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:27 बजे से है। देवी पुराण के अनुसार, देवी का आव्हान, स्थापना, पूजन आदि प्रात:काल में ही किया जाना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

लाभ: प्रात: 6:27 बजे से प्रात:7:01 बजे तक
अमृत: सुबह 7:54 बजे से प्रात: 9:20 बजे तक

बुधवार के दिन लाभ, अमृत के चौघड़ियों में ही पूजन करना लाभकारी सिद्ध होगा। नवरात्र स्थापना सुबह 6:27 बजे से 7:01 बजे तक कन्या लग्न व द्विस्वभाव लग्न करना सर्वश्रेष्ठ होगा।

इस बार नवरात्र में आएंगे खास संयोग

1. इस बार नौ दिनों की नवरात्रि में दो गुरुवार आएंगे। यह अत्यंत शुभ संयोग है क्योंकि गुरुवार को दुर्गा पूजा का कई गुना शुभ फल मिलता है। ग्रहों की स्थिति देखी जाए तो शुक्र का स्वगृही होना शुभ फल देगा।

2. इस बार नवरात्रि में राजयोग, द्विपुष्कर योग, अमृत योग के साथ सर्वार्थसिद्धि और सिद्धियोग का संयोग भी बन रहा है। इन विशेष योगों में की गई पूजा-पाठ और खरीदारी अत्यधिक शुभ और फलदायी रहेगी।

नवरात्र में हर दिन व्रत का अलग फल

शास्त्रों के अनुसार, पूरे नवरात्र में 9 दिन तक व्रत रखने का बड़ा महत्व है। इन 9 दिनों में हर दिन व्रत रखने का अलग—अलग फल मिलता है। अगर कोई जातक व्रत नहीं रख पाए तो राशिनुसार माता के विभिन्न रूपों और उनके नामों से पूजन कर देवी माता की कृपा और आशीर्वाद पा सकते हैं।

9 दिन व्रत का महत्व

पहला नवरात्र: घर में कुशलता आती है।
दूसरा नवरात्र: प्रसन्नता
तीसरा नवरात्र: संतान की प्राप्ति।
चौथा नवरात्र: मोक्ष।
पांचवा नवरात्र: लक्ष्मीजी की कृपा। धन—धान्य व आर्थिक समद्धि।
छठा नवरात्र: स्वस्थ जीवन एवं दीर्घ आयु।
सातवां नवरात्र: मनोकामना की पूर्ति।
आठवां नवरात्र: शिक्षा में सफलता।
नवां नवरात्र: प्रगति व कारोबार में वृद्धि।

व्रत न करने वाले जातक इनकी करें पूजा

मेघ: माता तारा
वृष: षोडशी रूपी त्रिपुरा संदरी माता
मिथुन: माता भुवनेश्वरी
कर्क: माता कमला रूपी
सिंह: माता बगुलामुखी
कन्या: माता भुवनेश्वरी
तुला: माता षोडशी रूपी
वृश्चिक: माता कमला व तारा रूप
धनु: माता कमला
मकर: माता काली रूप
कुंभ: माता बगुलामुखी
मीन: माता काली

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