राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में 14वीं विधानसभा के लिए आखिरी और वर्ष 2018-19 के लिए बजट पेश किया। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बजट पर बहस भी हुई जिसका मुख्यमंत्री राजे ने जवाब दिए। आइये जानते हैं सीएम के बजट बहस पर जवाब के महत्वपूर्ण बिंदु।
राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का स्थाई रूप से गठन किया जाएगा। आयोग को वैधानिक दर्जा देने के लिए कानून लाया जायेगा, ताकि आयोग को पूर्ण रूप से कानूनी संरक्षण प्राप्त हो सके। किसानों की कर्ज माफी के संबंध में एक उच्च स्तरीय अन्तर्विभागीय कमेटी बनाई जाएगी। यह अन्तर्विभागीय कमेटी निम्न महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर भी विचार करेगी। वर्तमान में श्रीगंगानगर के काश्तकारों को गेट एरिया एवं आउट गेट एरिया के आधार पर गन्ने की क्रय दरों का भुगतान किया जा रहा है, यह वर्गीकरण समाप्त किया जाएगा। पड़ोसी राज्यों में प्रचलित दरों और गन्ना उत्पादक किसानों की मांग को देखते हुए वर्ष 2017-18 के लिए अगेति, मध्यम एवं पचेति श्रेणी के गन्ने के लिए क्रमशः 310, 300 एवं 295 रुपये प्रति क्विंटल की क्रय दर के अनुसार गन्ना किसानों को भुगतान किया जाएगा।
कांग्रेस ने तो 50 साल के अपने शासन में कभी किसानों की चिंता नहीं की
वर्तमान सरकार ने लघु एवं सीमांत किसानों की 50 हजार रुपए तक एकबारीय कर्ज माफी की घोषणा की है, जो राज्य के इतिहास में पहली बार हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिपक्ष हमारे इस फैसले पर सवाल उठाने से पहले यह जान ले कि कांग्रेस ने तो 50 साल के अपने शासन में कभी किसानों की चिंता नहीं की। केंद्र में जब यूपीए सरकार ने जब लघु एवं सीमांत किसानों का 71 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया था, तब प्रति राज्य औसतन 2 हजार 500 करोड़ रुपए का ही कर्ज माफ हुआ था। वर्ष 2008 की कर्ज माफी में भी सहकारी क्षेत्र में मात्र 4 लाख 91 हजार किसानों का 868 करोड़ रुपये का कर्ज माफ हुआ, जबकि वर्तमान सरकार की कर्ज माफी की घोषणा से 20 लाख से भी अधिक किसानों का 8 से 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ होगा और उन्हें राहत मिलेगी।
अलग-अलग मदों में किसानों को कुल 38 हजार करोड़ का दिया अनुदान
वर्तमान सरकार ने अलग-अलग मदों में किसानों को कुल 38 हजार करोड़ का अनुदान दिया है। इसका फायदा लाखों किसान परिवारों को मिला है। कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में 8 हजार 226.43 करोड़ का प्रावधान इस बजट में किया गया है, जो वर्ष 2012-13 के 3 हजार 50 करोड़ की तुलना में करीब तीन गुना है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में किसानों के लिए विद्युत दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, विद्युत नियामक आयोग ने जो राशि बढ़ाई उससे आने वाला करीब 28 हजार करोड़ रुपए का भार सरकार ने क्रॉस सब्सिडी के माध्यम से अपने ऊपर ले लिया।
बजरी खनन पर नई नीति बनेगी, नाबालिग से दुष्कर्म रोकने के लिए कठोर कानून
बच्चियों की सुरक्षा हमारा पहला दायित्व है। नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में संशोधन कर दुष्कर्म के ऐसे मामलों में कठोर से कठोर सजा यहां तक कि मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया जाएगा। राज्य सरकार बजरी खनन से संबंधित नई नीति बनाएगी। छोटे-छोटे खनन पट्टे देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभान्वित किया जाएगा। पिछली सरकार ने चुनाव से ठीक पहले हजारों वर्ग किलोमीटर के तहसील स्तरीय एकल पट्टे बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के जारी कर दिए।
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