अब बोलचाल और लिखित में दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। केन्द्र ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 21 जनवरी को दिए गए आदेशानुसार सरकारी दस्तावेजों और अन्य जगहों पर दलित शब्द के प्रयोग पर पाबंदी लगाई थी। इसी आदेश का हवाला देते हुए केन्द्र ने सभी प्रदेशों में दलित शब्द का प्रयोग बंद कराया है। इस संबंध में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी प्रदेश के चीफ सैक्रेट्री और प्रमुख सचिवों को लिखित आदेश देते हुए अवगत कराया है कि अब सरकारी स्तर पर या कहीं भी दलित शब्द का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित होगा।
दलित की जगह जाति का नाम
हाईकोर्ट के आदेशानुसार दलित शब्द का इस्तेमाल बंद करा दिया गया है। नए आदेश के अनुसार अब किसी भी अनुसूचित जाति—एससी—एसटी के व्यक्ति के आगे उनकी जाति का नाम लिखा जा सकेगा। इससे पहले नोटिफिकेशन जारी कर 10 फरवरी, 1982 में हरिजन शब्द पर भी रोक लगाई गई थी।
दलित शब्द का संविधान में कहीं उल्लेख नहीं
केन्द्र ने चीफ सेक्रेटरी को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि दलित शब्द संविधान में कहीं नहीं है। हालांकि पूर्व में भी 1990 में इसी तरह का एक आदेश जारी हुआ था। आदेश में सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए केवल उनकी जाति लिखने के निर्देश थे।
read more: अम्बेडकर जयंती को लेकर पुलिस मुस्तैद, रैली व नई प्रतिमा लगाने से पहले लेनी होगी इजाजत