जयपुर। राजस्थान में भारी बारिश के कारण लाखों हैक्टेयर की फसले नष्ट होने से किसान बर्बाद हो गए। हाड़ौती अंचल में पिछले छह दिनों को हुई अत्यंत भारी बारिश ने फसलें बर्बाद कर दी हैं। कोटा संभाग में ऐसी बारिश हुई कि चार माह में बरसने वाले बादल इन छह दिनों में ही रिकाॅर्ड तोड बरस गए। भारी बारिश से खेत दर खेतों में जलप्लावन रहा। खेत सुमद्र, सैलाब, दरिया और तालाब की शक्ल में दिखे। पानी उतरा तो फसलें चौपट, नष्ट दिख रही हैं। अतिवृष्टि के कारण धान के अतिरिक्त अन्य सभी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
3.66 लाख हैक्टेयर में खरीफ की फसल बर्बाद
कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार संभागभर में करीब 3.66 लाख हैक्टेयर में खरीफ की फसल बर्बाद हो गई हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम ने मंगलवार को अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर खरीफ की फसल में नुकसान का जायजा लिया। इसके लिये कृषि आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश भी कोटा पंहुचे। उन्होंने भी खराबे का जायजा लेकर नुकसान पर चिंता जताई।
सोयाबीन और उड़द को ज्यादा नुकसान
भारी बारिश के कारण तबाह हुई फसलों के बारे में बात करते हुए संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. रामावतार शर्मा ने बताया कि कोटा संभाग में इस वर्ष खरीफ फसल की कुल 10 लाख 42 लाख 503 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इनमें 6 लाख 38 हजार 421 हैक्टेयर में सोयाबीन, 1 लाख 70 हजार 165 हैक्टेयर में उड़द, 89 हजार 771 हैक्टेयर में मक्का आदि फसलों की बुवाई की गई थी। वर्तमान में हुए सर्वे के अनुसार अतिवृष्टि से सर्वाधिक हानि इन्हीं फसलों में हुई है।
कृषि विभाग और प्रशासन ने किया आंकलन
संयुक्त निदेशक कृषि ने बताया कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार अब तक संभाग में सोयाबीन की फसलों में 2 लाख 14 हजार 321 और उड़द के 93 हजार 636 हैक्टेयर में अतिवृष्टि के कारण नुकसान हुआ है। नुकसान का पूरा आंकलन करने के लिये कृषि विभाग और प्रशासन की टीम जुटी हुई है।
बीमा कंपनियों को न बचाए कृषि विभाग
किसान प्रतिनिधि बोरदा ने कृषि विभाग को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग फसल बीमा कंपनियों को शुरूआती फसल खराबें का आंकलन कम बताकर बचाने का प्रयास न करें। कृषि विभाग बीमा कंपनियों का गुलाम ना बने। बोरदा ने कहा 5 से 6 लाख हैक्टैयर में खरीफ सीजन की फसलें तबाह और बर्बाद हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा खराबा सोयाबीन और उडद में हैं, तिल और मक्का भी चौपट हो चुकी हैं। किसान को संबल देने को सिर्फ धान की फसल बची हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर यह फसल भी प्रभावित हुई हैं।