राजस्थान कांग्रेस का सीएम फेस विवाद जिस तरह से चल रहा है, उससे तो यही लगता है कि यह आपसी विवाद पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में डूबाकर कर ही रुकेगा। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने अपने आॅस्ट्रेलिया दौरे से लौटकर नाम लिए बिना पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थकों पर पलटवार किया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पायलट ने नाम लिए बिना वह सब कुछ कह दिया जो पिछले दिनों अशोक गहलोत को चेहरा घोषित करने वाले बयानों का जवाब माना जा रहा है। उन्होंने इस दौरान सभी नेता और कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर कांग्रेस की सरकार बनाने में जुटने की बात कहकर एकजुटता का संदेश देने का भी प्रयास किया।
मुझे तब जिम्मेदारी दी गई जब कांग्रेस को इतिहास में सबसे कम 21 सीटें मिली
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि सोनिया और राहुल गांधी ने उन्हें राजस्थान की तब जिम्मेदारी दी जब कांग्रेस को प्रदेश के इतिहास में सबसे कम 21 सीटें मिली थी। पायलट के इस बयान को सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ इशारा माना जा रहा है। पायलट ने यह भी कहा, ‘हमारा लक्ष्य राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम लोगों को पार्टी ने बहुत कुछ दिया है। मैं अपनी बात नहीं कर रहा। नेताओं की बात कर रहा हूं। जो आज कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता हैं। देश प्रदेश में उन्हें जो स्थान मिला है वह पार्टी की बदौलत मिला है।’ पायलट ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी ने बहुत कम समय में बहुत कुछ दिया है।
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प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान अब भी बरकरार, पायलट ने दिए कई संकेत
सचिन पायलट ने जो कुछ कहा है उसमें कांग्रेस की अंदरूनी सियासत के बहुत से संकेत भी छिपे हुए हैं। पायलट ने यह भी संदेश देने का प्रयास किया कि पार्टी हाईकमान की निगाहों में आज भी उनके नंबर बढ़े हुए हैं। उन्होंने अर्जुन की तरह सत्ता रूपी मछली पर लक्ष्य रखने की बात कहकर कार्यकर्ताओं को एकजुटता से चुनावी रण में जुट जाने को कहा। पायलट के बयान से यह साफ हो गया है कि सीएम फेस विवाद पर अशोक गहलोत की सफाई के बाद विराम लगने की बात महज अटकलें साबित हुई है। गहलोत और पायलट के बीच अंदरूनी खींचतान अब भी चल रही है। आपसी खींचतान की सबसे खास बात यह है कि हाईकमान के निर्देशों के कारण ये कांग्रेसी नेता मर्यादा में रहकर बगैर नाम लिए ही एक-दूसरे पर जमकर प्रहार कर रहे हैं। इससे तो यही लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता वापसी का सपना देख रही कांग्रेस को खाली हाथ ही मलने पड़ेंगे। इस आपसी लड़ाई का फायदा बीजेपी को मिलना तय है।