तिब्बत, भूटान और सिक्किम के टीकों में स्थित डोकलाम पठारी क्षेत्र में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद में अब दोनों राष्ट्र आक्रामक हो गए हैं। दोकलाम पर अवैध रूप से अपना अधिकार बताने वाले चीन ने कहा है कि चीन अपनी जमीन का एक इंच हिस्सा भी नहीं खोना चाहता। यह बर्दाश्त करने लायक नहीं है। चीनी सरकारी मीडिया ने इसकी पुष्टि की है। चीन का रुख़ स्पष्ट है। चीन दोनों देशों के सैन्यबल में चल रही तनातनी को ख़त्म नहीं करना चाहता। चीन ने सिक्किम सेक्टर के डोकलाम क्षेत्र से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) को वापस बुलाने के लिए साफ़ इंकार कर दिया है।
सत्तापक्ष पार्टी के मीडिया समूह ने की पुष्टि:
चीन की सत्तारूढ़ पार्टी ”कॉम्युनिस्ट पार्टी” के मीडिया समूह ”द ग्लोबल टाइम्स” अखबार के मुखपृष्ठ संपादकीय में इस तरह की कड़ी टिप्पणी की गई है। यह अखबार चीन की सत्ता पर काबिज़ कम्युनिस्ट पार्टी संचालित करती है। इसका मतलब है कि यह शासक सरकार के विचारों को प्रकाशित कर सामने लाता है। पिछले कई दिनों से भारत-चीन के मध्य चल रहे डोकलाम विवाद में भारत के विरुद्ध यह अखबार ख़बरें प्रकाशित कर रहा है। चीन का यह मीडिया समूह सरकार का प्रतिनिधि बनकर भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोपों की बयानबाज़ी कर रहा है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को झूठा बता चेतावनी दे रहा है चीनी मीडिया:
”द ग्लोबल टाइम्स” ने अपने सम्पादकीय में प्रकाशित किया कि ”चीन अपनी ज़मीन का एक इंच हिस्सा भी खोना बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह चीनी लोगों की अटूट इच्छा और अनुरोध है। चीन की सरकार अपने लोगों की मूलभूत इच्छा का उल्लंघन नहीं कर सकती।
चीनी अखबार ने प्रकाशित किया कि चीन अब अपनी सेना वापस बुलाने के लिए कभी भी सहमत नहीं होगा। अगर भारत ज़िद पर अड़ा रहा तो भविष्य में तनाव के गंभीर रूप से बढ़ने पर भारत को तैयार रहना चाहिए।
इसी अखबार ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को झूठा करार दिया है। अभी थोड़े दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा था कि ”भारतीय सैनिकों ने चीनी क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है। भारत के इस कदम का दुनिया के सभी देश समर्थन करते हैं। हालांकि विदेश मंत्री के इस बयान पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
जानिए आख़िर क्या है, डोकलाम विवाद:
दोकलाम का पठार भूटान, भारत (सिक्किम) और चीन के ट्राइजंक्शन पर है। इस पठारी क्षेत्र में चीन दखलंदाजी देकर सड़क बना रहा है। इस तरह यहाँ सड़क बनाकर चीन अपनी स्थिति मजबूत करना चाह रहा है। दोकलाम का यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद ख़ास है। चीन यदि यहां सड़क बना लेता है, तो यहाँ से भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक पहुंचना आसान हो जायेगा। यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
डोकलाम हालांकि भूटान का भूभाग है। लेकिन साल 1949 में हुई संधि के अनुसार भूटान के विदेशी मामलें भारत सरकार की ‘सलाह से निर्देशित’ होंगे। वर्ष 1949 में हस्ताक्षर की गई यह संधि साल 2007 में फिर से दोहराई गई थी। इस द्विपक्षीय संधि के मुताबिक भारत, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना अपनी जिम्मेदारी समझेगा। इसलिए चीन यदि उस क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा ज़माता है तो यहाँ भारत के लिए विरोध करना जरूरी है।