बूंदी फेस्टिवल 2017 का रंगारंग शुभारंभ आज से हो गया है। 3 दिन तक चलते वाला यह फेस्टिवल 8 नवंबर तक चलेगा जो पूरी तरह से राजस्थानी फोक व संस्कृति को दर्शाएगा। बूंदी राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। बूंदी जिला कोटा से 35 किमी जबकि जयपुर से 210 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर चारों ओर अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो प्राकृतिक रूप से पहले से ही काफी सुंदर शहर है। बूंदी फेस्टिवल का मकसद राष्ट्रीय और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना है। बूंदी फेस्टिवल की शुरूआत संगीत और नृत्य से होती है जिसमें खेल और कला और शिल्प से प्रतियोगिताओं तक हर मजेदार व मनोरंजक बाते मौजूद होंगी जो आपके रोमांचक अनुभव देंगी। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन मंडल मुख्यालयों जैसे इंदरगढ़, लकहर, हिंडोली और केशोरैपटन द्वारा किया जाएगा।
3 दिवसीय बूंदी फेस्टिवल में सभी तीनों दिन कुछ न कुछ ऐसा होगा जो आपको मनोरंजन के 7वें आसमान तक पहुंचा देगा। कार्यक्रम की शुरूआत बूंदी गृह पैलेस से होगी जहां श्रीगणेश वंदना और उसके बाद झंड़ा रोहण होगा। इसके बाद से मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिनमें मटकी दौड़, पगड़ी बांधना, मूंछ प्रतियोगिता, फैंसी ड्रेस, होर्स रेस (घुड़दौड़) व कैमल रेस (ऊंट दौड़) जैसी प्रतियोगिताएं होंगी। शाम को सर्वश्रेष्ठ भारत (बेस्ट आॅफ इंडिया) नाम से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगा जिसमें राजस्थानी फोक नृत्य व अन्य नृत्य शैलियों का प्रदर्शन होगा।
अगले दिन शाम को सुर संगम और मान मनुहार कार्यक्रमों का आयोजन होगा जो खास तौर पर राजस्थानी म्यूजिक और विदेशी पर्यटकों के लिए रखा गया है। इस दौरान हस्तशिल्प मेला और शिल्प ग्राम का आयोजन होगा जो 15 नवंबर तक चलेगा।
बूंदी फेस्टिवल के तीसरे व आखिरी दिन गांव की सरजमीं से लगाव या जानने वालो के लिए रहेगा। इस दिन पर्यटकों को मिट्टी के बर्तनों के गांव ठिकरड़ा का सवारी कराई जाएगी। इस यात्रा का शुल्क पर्यटकों से वसुला जाएगा। शिल्प मेले व हस्तकला मेले में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ 8 नवंबर को बूंदी फेस्टिवल का समापन होगा। इससे पहले बूंदी आर्ट गैलेरी में एक पेंटिंग प्रदर्शनी भी होगी जिसमें शहर की विरासत, कला व इतिहास को दर्शाया गया है। शिल्प व हस्तकला मेला 15 नवंबर तक चलेंगे।
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