विश्व की सबसे बड़ी कार्यकर्ताओं वाली राजनीतिक पार्टी बीजेपी को हाल में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले देश के करीब 70 प्रतिशत भूभाग पर भारतीय जनता पार्टी की सरकारें थीं। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद अब बीजेपी नए साल में नई शुरूआत करते हुए आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी अपनी रणनीति के तहत अब जल्द ही अपनी निष्क्रिय पड़ी बूथ इकाइयों में बदलाव करने जा रही है। पार्टी के इस निर्णय से कमजोर प्रदर्शन करने वाली बूथ कमेटियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। बीजेपी उन इकाइयों का पुनर्गठन करने जा रही है, जो विधानसभा चुनाव के दौरान पूरी तरह निष्क्रिय थी। इन बूथ इकाइयों में अधिकतर अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र की इकाइयां शामिल है।
प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कुल 51,800 से अधिक बूथ
राजस्थान में बीजेपी के कुल 51,800 से अधिक बूथ हैं। इनमें से करीब करीब 8000 बूथ अनुसूचित जाति क्षेत्र में आते हैं। वहीं 5000 बूथ अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में आते हैं। पार्टी को अब तक मिले फीडबैक के आधार पर अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र के लगभग सभी बूथों में भारतीय जनता पार्टी को बेहद कम मत प्राप्त हुए। ऐसा ही हाल अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र के बूथों पर भी रहा है। बीजेपी का जोर उन बूथ इकाइयों पर ज्यादा है, जहां पार्टी प्रत्याशी को बूथ पर तैनात कार्यकारिणी सदस्यों की संख्या से भी कम वोट मिले थे। लिहाजा बीजेपी अब ऐसी बूथ इकाइयों को बदलने की तैयारी में लगी हुई है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने ऐसी निष्क्रिय पड़ी बूथ इकाइयों को चिन्हित भी कर लिया है। अब उनमें बदलाव के लिए संबंधित जिला और मंडल अध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं।
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लोकसभा चुनाव से पहले ढांचे में सुधार करना चाहती है बीजेपी
2019 के मध्य तक लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। हालांकि 2018 में हुए उपचुनाव में पार्टी को 2 सीटें गंवानी पड़ी थी। ऐसे में अब पार्टी समय रहते अपने ढांचे में सुधार करना चाहती है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीरमदेव सिंह और विधायक कालीचरण सराफ का मानना है कि पार्टी में कुछ बदलाव की जरूरत है। उनके अनुसार यह पार्टी की एक सतत प्रक्रिया है, जिससे ग्राउंड स्तर तक बीजेपी को निरंतर और मजबूत बनाया जा सके।