जयपुर। संसद से पारित तीन किसान बिलों के मामले को लेकर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने है। कांग्रेस बिल का पुरजोर विरोध जताने के मूड में है तो वहीं भाजपा ने इन बिलों के फायदे किसानों और आमजन तक पहुंचाने की रणनीति बना ली है। इसके लिए प्रदेश पदाधिकारियों, मीडिया पैनालिस्ट्स और जिलाध्यक्षों को जिम्मेदारियां दी जा रहीं हैं। वहीं केंद्र सरकार के बिल लाने के मकसद और इसके फायदे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये आमजन तक पहुँचाने की भी योजना तैयार कर ली गई है।
किसान मोर्चे ने संभाली कमान
किसान कल्याण बिलों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश भाजपा के किसान मोर्चे ने ज़िम्मेदारी संभाल ली है। मोर्चे के पदाधिकारियों को प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने रणनीति बनाते हुए विशेष दिशा-निर्देश जारी किये हैं। एक वर्चुअल संवाद के दौरान किसान मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष माधोराम चौधरी और महामंत्री भजनलाल सहित अन्य पदाधिकारी भी शामिल रहे।
सोशल मीडिया पर चलेंगे कैम्पेन
कोरोनाकाल के दौरान अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए भाजपा एक बार फिर सोशल मीडिया पर जोर दे रही है। कृषि सुधार बिलों को जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया से जुड़े विभिन्न प्लेटफॉर्म्स को काम में लिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी के आईटी विभाग को अलग-अलग तरह के ज़्यादा से ज़्यादा कैम्पेन्स शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
आसान नहीं होगा रणनीति को अंजाम देना
प्रदेश में भी कृषि बिलों पर किसानों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। किसानों को बिल से जुड़े कई बिन्दुओं पर एतराज़ है और वे इसमें संशोधन की मांग पर अड़े हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी भी बिलों को किसान विरोधी बताते हुए इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठा रही है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा के सामने इन बिलों के समर्थन में किसानों और आमजन तक पहुंचना चुनौतियों भरा रहेगा।