राजस्थान सरकार ने प्रदेश में जेनेटिक मोडिफाइड (जीएम) बीटी कॉटन की खेती करने की इजाजत दे दी है। सरकार ने बीटी कॉटन के बीच की मार्केटिंग करने वाली 30 कंपनियों को बीज बेचने की अनुमति भी दे दी है। राज्य के किसान अब अगले महीने से बीटी कॉटन की खेती शुरू कर सकेंगे। जीएम कृत्रिक तरीके से बनाया गया फसल बीज होता है। हालांकि परमपरागत खेती करने वाले लघु और सीमांत किसान जीएम बीजों का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।
35 क्विंटन प्रति हेक्टेयर है उत्पादन
प्रदेश में फिलहाल 5 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की जाती है। यहां के किसान देसी व अमेरिकन के साथ बीटी कॉटन की खेती भी करते हैं। बीटी कॉटन के जीएम बीज से प्रति हेक्टेयर 35 क्विंटन तक कपास की फसल का उत्पादन हो सकता है। अधिक उत्पादन और कीटरोधी क्षमता की वजह से किसान बीटी कॉटन के बीजों से कपास की खेती करना ज्यादा पसंद करेंगे।
इन जिलों में होती है खेती
अगले महीने से कपास की बुवाई के लिए अनुकूल समय को देखते हुए राजस्थान सरकार की ओर से यह स्वीकृति आई है। प्रदेश में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, नागौर, जोधपुर व पाली जिलों में कपास की खेती की जाती है।
क्या है जीएम बीटी कॉटन
फसलों का उत्पादन स्तर सुधारने के लिए किसान जैनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) बीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बीज न केवल साधारण बीज से कहीं अधिक उत्पादकता देता है बल्कि कीटरोधी भी है। जीएम बीज को जैव रूपांतरित बीज भी कहा जाता है। इसके बीज को तैयार करने में एक जीव या अन्य फसल का जीन दूसरे पोधे में भी रोपित किए जाते हैं।
इनका कहना है कि ….
निर्धारित प्रक्रिया और परीक्षण के बाद ही सरकार बीटी कॉटन के बीच बेचने की अनुमति जारी करती है। राजस्थान में किसान मध्यम और जल्दी से तैयार होने वाली कपास की फसल की खेती करना पसंद करते है। यह फसले मई में बोई जाती है और अक्टूबर तक तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान गेहूं सहित अन्य फसलों की बुवाई कर सकते हैं। -कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामगोपाल शर्मा
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