राजस्थान की राजनीति में आए दिन नयी उठा-पटक चल रही है। एक तरफ वर्तमान राजे सरकार आये दिन नए-नए विकास कार्यों का कहीं उद्घाटन कर रही हैं तो कहीं लोकार्पण। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी तरफ से जनता की हर सुविधा और जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं। कहीं कोई कमी न रह जाये, इस बात की भी जांच वे स्वयं जिम्मेदारी पूर्वक कर रही हैं। ऐसे में वो नहीं चाहेंगी कि जनता की सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी रह जाये। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता भी अब कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो गए हैं। इसलिए वो भी आए दिन, कहीं किसान रैली के नाम पर तो कहीं हड़ताल के नाम पर, कहीं गरीबों के नाम पर तो कहीं बेरोजगारों के नाम पर जनता को एकत्रित कर चुनावी राग अलापने में लगे हुए हैं।
जो काम कांग्रेस कई सालों से करती आ रही है, वही काम इस बार भी कर रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार उसे नए तरीके से कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने अपनी रोटियां सेकने के राजनीति के चूल्हे पर अपने-अपने तवे रख दिए हैं। चूल्हे में गरीबी, बेरोजगारी, किसान, कर्मचारी और जाती व धर्म की लकड़ियाँ भी लगा दी हैं। अब नित्य प्रतिदिन ये लोग आग सुलगाने के लिए फूंक मारते रहते हैं। इसीलिए तो ये लोग जो सुविधाएँ वर्तमान सरकार द्वारा दी जा चुकी है, उन्हीं सुविधाओं को अपना नाम देकर जनता को देने के वादे कर रहे हैं। लेकिन इन्हें ये बात समझ नहीं आती कि जब इनका कार्यकाल था, तब तो इन लोगों से कुछ किया नहीं गया। अब ये फुदकते डोल रहे हैं। अरे…! अगर पांच साल पहले इन्होंने जनता की भलाई की होती और काम किया होता तो राजस्थान की जनता, कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ नहीं करती। अब जब इन लोगों ने मुँह की खाई तब जाकर इनका दिमाग ठिकाने आया है।
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पिछले चार सालों से हार की शर्म के मारे बचारे कहीं मुँह छुपा कर बैठे थे। लेकिन जैसे ही चुनाव पास आने वाले थे, ये लोग अपने अपने बिलों से बाहर निकल कर आ गए । ये लोग आये दिन कोई ना कोई नया ड्रामा करते रहते हैं। अपनी हरकतों से ये लोग भाजपा की टक्कर में आने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पिछले पांच सालों में ही भाजपा और वसुंधरा राजे ने राजस्थान में इतने विकास कार्य किये हैं कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेता तो उनके दस्तावेजों के नीचे ही दब कर रह जायेंगे। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी में बराबर की टक्कर होना तो दूर की बात है। और वैसे भी आने वाले चुनावों में मुख्यमंत्री की चुनौती कांग्रेस नहीं बल्कि स्वयं से है की वे आने वाले समय में और बेहतर विकास कार्य करें। कांग्रेस के लोग, अशोक गहलोत, सचिन पायलट या कोई और कहीं भी नहीं टिकते हैं।
यही बात कांग्रेस के नेता भी कबूल चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी एक बहुत बड़ी पार्टी है जिससे लड़ना और जितना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। ऐसे में क्या सचिन पायलट और क्या अशोक गहलोत। पिछले पांच सालों में कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं का कद बीजेपी के सामने बहुत छोटा हो चुका है। ऊपर से कांग्रेस के नेता राजस्थान के लोगों को अलग-अलग वर्गों में बांटकर फूट डालने की कोशिश भी करते रहते हैं। कभी ये लोग किसानों के नाम पर लोगों के आगे हाथ फैलाते हैं। कभी ये लोग बेरोजगारों को लालच देते हैं। कभी ये लोग गरीबी हटाने की बात करते हैं। तो कभी ये लोग अलग-अलग जाती और धर्मों की बात करते हैं। लेकिन ये लोग वही हैं, जो दशकों तक अपनी सरकार रहने के बाद भी राज्य में कुछ नहीं कर सके। तो अब ये कौन से झंडे गाड़ लेंगे।और अब हालत इतने बदल चुके हैं कि सारी सुविधाएं तो भाजपा ने पहले से ही मुहैया करवा दी हैं ऐसे में ये लोग सिर्फ भाजपा के कार्यों के दम पर ही खुद आगे काम करने के वादे कर सकते हैं।
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चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, इसलिए कांग्रेस के लोगों में हड़बड़ाहट कुछ ज्यादा ही मची हुई है। और कांग्रेस के लोगों की हड़बड़ाहट को देखते हुए लग रहा है की ये लोग भाजपा से बुरी तरह खौफ खाये हुए हैं। मगर बात-बात पर ये लोग स्वयं ही बीजेपी के साम्राज्य और उसके बड़प्पन की बातें दबी ज़ुबान में कह ही देते हैं।