मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में एक डावाडोल करने जैसे बयान दिया है। उन्होंने राजस्थान में शराबबंदी पर रोकथाम के प्रयास करने की बात कही है। लेकिन बयान देते समय शायद गहलोत यह भूल बैठे कि पिछले दिनों ही राज्य के आबकारी विभाग ने अपनी नई नीतियों के तहत शराब बिक्री को बढ़ाने की बात कही है। यही नहीं, कम बिक्री होने पर मोटा जुर्माना लगाने का भी प्रावधान रखा है। ऐसे में गहलोत सरकार का यह बयान ढुलमुल जैसा लग रहा है।
असल में मीडिया से बात करते हुए गुरूवार को सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि वह पिछले दिनों गुजरात में काफी समय गुजार चुके हैं। गुजरात में शराबबंदी है लेकिन वहां पर लोग शराब बना रहे हैं और पड़ौसी राज्यों से शराब की तस्करी हो रही है। राजस्थान में 1970 के समय में भी शराबबंदी हुई थी लेकिन वो सक्सेसफुल नहीं रही। इस वजह से वह शराबबंदी लागू नहीं करेंगे। हालांकि शराब सेवन की रोकथाम को लेकर एक्शन लेते रहेंगे।
वहीं दूसरी तरफ, राज्य आबकारी विभाग ने अपनी नई आबकारी एवं मद्य-संयम नीति 2019-20 में शराब बिक्री को बढ़ावा देने पर ज्यादा ध्यान दिया है जिसमें कम बिक्री होने पर ठेकेदारों पर जुर्माना लगाए जाने की बात कही है। नए प्रावधान के मुताबिक ठेकेदारों को हर हाल में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी से ज्यादा शराब बेचनी होगी। अगर कोई ठेकेदार ज्यादा शराब नहीं बेच पाता है तो उस पर हर तीन महीने में जुर्माना लगेगा। जुर्माने की राशि को दो गुना तक बढ़ाया गया है।
नई नीति के मुताबिक हर तीन महीने में अंग्रेजी शराब दुकान की बिक्री की गणना होगी। बिक्री अगर पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा नहीं हुई तो अंग्रेजी शराब पर 30 रुपए प्रति बल्क लीटर और बीयर पर 20 रुपए प्रति बल्क लीटर जुर्माना निर्धारित किया गया है। शराब दुकानों के खुलने और बंद होने का समय पहले की तरह ही सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक तय है।
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अब आबकारी विभाग की अधिक शराब पिलाने की नीति और गहलोत सरकार की शराबबंदी पर रोकथाम का प्रयास वाला बयान एक दूसरे को काटते हुए से दिख रहे हैं। खैर, यह बात कोई नयी नहीं है। अभी कुछ और नए बयान व नीतियां आनी शेष हैं जिनमें कुछ इसी तरह कर गोल मटोल बातों का जिक्र होगा।