इस बार राजस्थान में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन नहीं मिला पूर्ण बहुमत न पिछली बार मिला
राजस्थान विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हो चुके हैं और मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के नामों की घोषणा भी हो गई है। इस बार अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री और सचिन पायलट पहली बार उपमुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। मौजूदा समय में कांग्रेस राजस्थान की सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन कहीं न कहीं कांग्रेस के नेतृत्व में एक बड़ी चूक रही है कि पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल करने से अभी भी दूर है। राजस्थान आम चुनावों में कांग्रेस को 99 सीटें मिली है जबकि पूर्ण बहुमत 101 सीटों पर रहा। हालांकि कांग्रेस ने एक सीट गठबंधन एवं बसपा के सहयोग से सरकार बनाने का दावा कर दिया है। वहीं बीजेपी को 73, छह सीटों पर बीएसपी, दो पर बीटीपी, 12 पर निर्दलीय, एक पर आरएलडी, तीन पर आरएलपी और दो सीटों पर सीपीएम प्रत्याशी को जीत मिली है। इस तरह सूबे में किसी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है।
अशोक गहलोत 1998 व 2008 में भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर चुके हैं। अब तीसरी बाद सीएम बनने जा रहे हैं।
बात करें अशोक गहलोत के पिछले दो कार्यकाल की तो गहलोत पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री बने थे। नए चेहरे का लाभ यहां उन्हें मिला और 200 में से 153 सीटें जीतकर कांग्रेस सरकार बनी। इसके बाद 2008 में फिर से गहलोत सरकार बनी लेकिन इस बार वह बहुमत हासिल करने से 5 सीटें दूर रह गए। कांग्रेस की 96 सीटें लेकर गठबंधन की सरकार बनायी गई। 2018 में फिर से गहलोत सरकार बन रही है लेकिन इस बार भी कांग्रेस बहुमत से दूर है। वर्तमान आम चुनावों को कांग्रेस को 99 सीटें मिली है। एक सीट गठबंधन के साथ पार्टी 100 सीटें जीतने का दम भर रही है। अब बसपा के समर्थन के बाद कांग्रेस की विधानसभा में सीटों की संख्या 106 हो जाएगी।
जिस तरह राजस्थान की जनता पिछले 25 सालों से एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा सरकार के नक्शे पर बरकरार है। अगले चुनाव जब भी होंगे, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे फिर एक बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
वहीं बात करें भाजपा के पिछले दो कार्यकाल की तो 2003 में वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी। यहां राजे ने 120 सीटें जीतकर पहली बार राजस्थान की महिला मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की। उस दौरान कांग्रेस केवल 56 सीटों पर सीमित रही। 2013 में वसुन्धरा राजे ने फिर से अपने नेतृत्व में सरकार बनायी और इस बार 163 सीटें जीतकर एक इतिहास रच दिया। कांग्रेस केवल 21 विधायक लेकर विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर हो गई।
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