जयपुर। कोरोना संकट से जूझ रही जनता को राजस्थान सरकार ने एक और झटका दिया है। राजस्थान में अब अचल सम्पत्ति के खरीद-बेचान सहित सभी तरीके की रजिस्ट्री अब महंगी हो जाएगी। गहलोत सरकार ने सभी रजिस्ट्री पर देय स्टांप शुल्क पर लगने वाले उपकर की दर को दुगना कर दिया है। अब तक यह उपकर 10 प्रतिशत की दर से वसूला जाता था, जिसे अब 20 प्रतिशत किया गया है। सरकार ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। प्रदेश में गाय और उसकी नस्ल के संवर्धन के लिए मार्च, 2017 में यह उपकर लगाया गया था।
लोगों की जेब पर और बोझ बढ़ेगा
सरकार ने ताजा आदेश में कहा है कि इस उपकर का उपयोग गौ संवर्धन अथवा सूखा, बाढ़, महामारी, जन स्वास्थ्य जरूरतें, आग और अन्य प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं से निपटने में किया जा सकेगा। सरकार के इस फैसले से कोरोना की वजह से पहले से ही परेशान लोगों की जेब पर और बोझ बढ़ेगा।
धन की कमी ना रहे इसलिये लगाया सरचार्ज
पूर्ववर्ती सरकार ने इससे पहले 31 मार्च 2017 को आदेश जारी कर स्टाम्प ड्यूटी पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया था। यह सरचार्ज आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के विकास, नगरपालिका एवं पंचायतीराज संस्थाओं के वित्त पोषण के साथ ही गाय और उसकी नस्ल के संरक्षण तथा संवर्द्धन के लिए लगाया गया था। सरकारी खजाने की सेहत ठीक नहीं है। इसलिए सरकार ने सरचार्ज बढ़ाया है।
पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाया था वैट
भारी राजस्व की हानि का सामना कर रही सरकार शराब पर भी आबकारी शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुकी है। प्रदेश में मंडी शुल्क में 2 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। इससे पहले कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़ते असर को देखते हुए राज्य सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा दिया था। वित्त विभाग ने 7 मई को इसकी अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना के बाद पेट्रोल पर 36 फीसदी की जगह 38 फीसदी व डीजल पर 27 फीसदी की जगह 28 फीसदी वैट लागू हो गया। इससे पहले भी राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर 21 मार्च को 4 फीसदी और 15 अप्रेल को 2 फीसदी वैट बढ़ा चुकी है। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण राजस्थान सरकार को मिलने वाले राजस्व में आई कमी के कारण वित्तीय भार बढ़ा है। इसी के चलते सरकार ऐसे कदम उठा रही है।