लंबे समय से जयपुर के सिविल लाइंस में बंगला नंबर 49 में रह रहे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब आदमी बन गए हैं। इसके उन्हें सरकारी बंगले का मोह छोड़ इसे खाली करना होगा। साथ ही पूर्व सीएम जगन्नाथ पहाड़िया को भी अस्पताल रोड स्थित बंगला नंबर 5 छोड़ना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर निर्देश के बाद यह फैसला सुनाया गया है। ऐसे में करीब दोनों ही पूर्व सीएम को अपना-अपना बंगला खाली कर कहीं ओर जाना होगा। गहलोत को फरवरी, 2014 में और पहाड़िया को 1999 में बंगला आवंटित किया गया था।
यूपी के आवास आवंटन नियम को गलत बताया
असल में यूपी की एक पीआईएल का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भी एक आम आदमी है इसलिए उन्हें सरकारी बंगले की सुविधा नहीं दी जा सकती। इसके लिए कोर्ट ने यूपी सरकार के उस एक्ट को भी खारिज कर दिया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले का प्रावधान था। प्रदेश में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देने के लिए सरकार अप्रेल, 2017 में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन लाई थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर आजीवन सरकारी बंगले का प्रावधान किया गया। सुप्रीम कोर्ट पिछले साल भी यूपी के आवास आवंटन नियम को गलत बताकर पूर्व सीएम को सरकारी बंगला खाली कराने का निर्देश दे चुका है।
प्रदेश में पूर्व सीएम को मिलती हैं कई सुविधाएं
प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास आवंटन के लिए नियमों में कोई प्रावधान नहीं है बल्कि कैबिनेट के लिए नियमों के जरिए ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास एवं सुविधाएं दी जाती है। पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी बंगला आवंटित करने के लिए 2010 में मंत्रिमंडल की आज्ञा जारी हुई थी। इसमें पूर्व सीएम को सरकारी आवास के साथ मंत्री स्तर का प्रोटोकॉल, एक निजी सचिव, दो लिपिक, दो चतुर्थश्रेणी कर्मचारी और एक राजकीय वाहन की सुविधा दी गई है।
गहलोत दो बार, पहाड़िया एक बार रहे मुख्यमंत्री
जगन्नाथ पहाड़िया और अशोक गहलोत दोनों ही कांग्रेस पार्टी से संबंध रखते हैं। पहाड़िया 1980-81 में मुख्यमंत्री रहे जबकि अशोक गहलोत ने दो बार 1998-2003 और 2008-2013 में राजस्थान की बागड़ोर संभाली। वर्तमान में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे भी दो बार 2003-2007 और 2013 से अब तक यह दायित्व निभा चुकी हैं।
read more: वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा आगामी विधानसभा चुनाव