क्या गुजरी होगी उस पति के दिल पर? जिसके सामने उसकीपत्नी का बलात्कार किया गया। वो भी एक या दो ने नहीं बल्कि पांच-पांच लोगों ने। उनके साथ मारपीट भी की गयी। उनका वीडियो भी बनाया गया। फ़िर उसे सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल भी किया गया। पीड़िता का पति अब शायद उम्र भर अपनी से शर्म के मारे आँख नहीं मिला पायेगा। लेकिन वो करता भी क्या बेचारा? अगर अकेला होता तो वो शायद अपनी जान की परवाह किये बगैर भी दुष्कर्मियों से लड़ जाता। अपनी जीवन संगिनी के सम्मान की रक्षा के लिए या तो वो ख़ुद अपनी जान लुटा देता। या उन दरिंदों की जान ले लेता। लेकिन पहले उस दंपति के साथ मारपीट की गयी। फ़िर उनको बंधक बनाकर महिला के साथ बलात्कार किया। इसलिए पति मज़बूर था। ये सारा मामला अलवर बलात्कार की घटना है।
मज़बूर पति नहीं, वो बिके हुए पुलिस वाले हैं जिन्होंने रिपोर्ट दर्ज़ नहीं
वो भी इस लिए क्योंकि पीड़ित दलित थे। क्या ये समाज इतना गिर चुका है। जो किसी भी ग़रीब और दलित के साथ जब चाहे बलात्कार करेंगे। जब चाहे लूट-खसोट करेंगे। फ़िर जो प्रशासन जिसे जनता की रक्षा के लिए रखा गया है। वो ही बिक जायेगा तो फिर ग़रीब, दलित, असहाय, लाचार व्यक्ति और आम आदमी कहाँ जायेगा। वो कहाँ जाकर गुहार लगाएगा। ये पुलिस भी बिक चुकी है। या वहां की राजनीति की ही ये चाल है। 26 अप्रेल को एक दंपत्ति के साथ मारपीट की जाती है। उनको बंधक बनाया जाता है। फिर पति को बांधकर। पांच लोगों ने बारी बारी से पत्नी के साथ बलात्कार किया। अगर पति ने आवाज़ उठाई तो उसे डंडों से पीटा गया। लेकिन बलात्कारियों से ज्यादा गुनहग़ार तो वो पुलिस प्रशासन है। जिसने ना तो पीड़ितों की गुहार सुनी। ना ही आरोपियों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ की।
मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को अलवर बलात्कार का वीडियो देखना है
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के प्रचार के दौरान। वर्तमान मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट। जो पहले सिर्फ़ राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता हुआ करते थे। चुनावी प्रचार के दौरान वो जनता के बीच जा जाकर गिड़गिड़ाया करते थे। वोटों की भीख़ मांगा करते थे। किसानों के नाम पर। बेरोजगारों के नाम पर। महिलाओं के सम्मान की रक्षा के नाम पर सत्ता दिलाने की बात करते थे। अब उनके हाथ में सत्ता आयी तो सत्ता के मद में चूर होकर मौन बैठे हैं। मीडिया द्वारा प्रतिक्रिया मांगे जाने पर मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री जी ने बयान दिया। हमारे पास तो ऐसा कोई वीडियो या फ़ोटो। नहीं आये हैं तो हम कैसे मान ले कि बलात्कार हुआ है। साहब जी अब गुस्सा नहीं आएगा तो क्या करें।
मतलब जब तक आप वीडियो नहीं देख लेते आप मानोगे नहीं की बलात्कार हुआ है। अगर वीडियो दिखा दिया तो क्या आप उन्हें बीच चौराहे पर सजा दे देंगे। ये तो वही बात हो गयी ना कि आप पीड़िता से ही पूछ रहे हो की तुम्हारे साथ बलात्कार कैसे हुआ? उन्होंने तुम्हारे साथ क्या किया? किन लोगों ने किया? कहाँ किया? कैसे किया? थू है ऐसे लोगों पर। वोटों की ख़बर तो आपके पास तुरंत पहुँच जाती है। उसके पास इतने वोट हैं। हमारे वोट कौन-कौन से हैं, विपक्ष के कौन से। अपनी विरोधी पार्टी के ख़िलाफ़ कोई ख़बर तो आपको फ़टाफ़ट मिल जाती है। फ़िर क्या ये ख़बर आप तक नहीं पहुंची। ये बात हमारे गले नहीं उतरती। या फ़िर अपना वोट बैंक ख़राब ना हो जाये इसलिए जानबूझ कर कुछ नहीं बोले। और प्रशासन को भी मामले को चुनाव संपन्न होने तक दबाकर रखने के आदेश दिए हों।
Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot on alleged gang-rape in Alwar: I'm taking this case seriously, state DGP himself is monitoring the case & culprits will be punished. pic.twitter.com/qifcf3twpR
— ANI (@ANI) May 7, 2019
अलवर बलात्कार ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं सीधे सजा
पीड़ित दंपत्ति तीन दिन तक दर दर भटकते रहे। मगर किसी ने उनकी ने उनकी FIR फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट तक दर्ज़ नहीं की। शर्म करो अपने आपको अपने आपको क़ानून का रखवाला कहने वालों। आपको कोई हक़ नहीं शासन और प्रशासन चलाने का। पहली बात तो ये की क्यों किसी ने उनकी ररपोर्ट दर्ज़ नहीं की? दूसरी बात ये कि मामले को दबाकर क्यों रखा गया? फ़िर चुनाव संम्पन्न होते ही ख़ुद पुलिस ने ही उसका ख़ुलासा कर दिया। क्योंकि वो एक दलित दंपत्ति थे। और अगर ऐसा है। तो फिर एक दलित को पूरा हक़ है आरक्षण मांगने का। ताकि कोई दलित आरक्षण के दम पर ही सही। अगर ऐसे पद पर पहुँच जाता है कि ऐसे मामलों में वो अपने दलित भाई-बहनों की मदद कर सके। तो फिर इस देश से आरक्षण बिल्कुल भी ख़त्म नहीं होना चाहिए।
Kapil Garg, DGP Rajasthan on alleged gang-rape in Alwar: A case has been registered against 5 people, one person has been arrested out of those five. 14 teams are working on the case. pic.twitter.com/3exuKiDifs
— ANI (@ANI) May 7, 2019
अब अब हमारे तो शासन और प्रशासन से यही आस है। जिन्होंने भी उस दंपत्ति के साथ दुर्व्यवहार किया। और उस महिला के साथ बलात्कार किया। उन्हें तो बीच चौराहे पर खड़ा करके सज़ा – ए -मौत देनी चाहिए। लेकिन उन पुलिसकर्मियों को भी स्थायी रूप से नौकरी से बर्ख़ास्त कर देना चाहिए। जिन्होंने उन पति-पत्नी को तीन दिन तक घुमाया। उनकी गुहार नहीं सुनी। क्योंकि वो भी उतने ही दोषी हैं। जितने वो बलात्कार करने वाले।
महिला एवं बाल विकास मंत्री सिर्फ रुपये लेकर पहुँची
चुनाव संपन्न हुए तो पुलिस ने वारदात का खुलासा ख़ुद कर दिया। क्योंकि अब तक आरोपियों द्वारा बनाया गया वीडियो वायरल हो चुका था। लेकिन अभी भी सरकार और ज़िम्मेदार के कान खड़े नहीं हुए थे। वो तो अलवर की जनता ने इसके ख़िलाफ़ आक्रोश जाता तो राजनितिक पार्टियों में हलचल दिखानी शुरू की। भाजपा से राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा ने इस मामले को सियासी रूप देने के लिए सड़क पर प्रदर्शन किया। तो वहीँ सत्ताधारी पार्टी की विधायक और राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ममता भूपेश जा पहुंची अलवर बलात्कार पीड़िता के घर। 412500 चार लाख़ बारह हज़ार पांच सौ रुपये का चैक लेकर।
अब मंत्री साहिबा को कौन समझाए कि बलात्कार के जख़्म रुपयों से नहीं भरते। बलात्कार का मतलब होता है। आबरू का लुट जाना। अर्थात अपनी इज्ज़त लुट जाने के बाद एक महिला ज़िंदा लाश बन जाती है। जिसका बदला सिर्फ़ और सिर्फ़ उन दरिंदों को मौत के घाट उतर कर पूरा किया जा सकता है। आप एक महिला हैं, पढ़ी-लिखी भी हैं। और आपके हाथ में सत्ता की चाबी भी है। हम इस मामले पर कोई राजनीति या सियासती खेल नहीं चाहते। हम पीड़ितों के लिए न्याय चाहते हैं। जो सिर्फ़ आरोपियों की मौत से पूरा होगा।
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