जयपुर। राजस्थान में इन दिनों कोरोना वायरस का तांडव जारी है। इसी बीच प्रदेश पर एक ओर नई मुश्किल आ घिरी है। प्रदेश के हर जिल में अब टिड्डी कल भी अपने पांव पसारता जा रहा है। टिड्डी दलों ने अब तक 21 जिलों में अपना असर दिखाया है और अब टिड्डियों का प्रकोप अलवर में भी देखने को मिल सकता है। कृषि विभाग ने पहले ही अलवर में टिड्डी हमले को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। कृषि विभाग के अनुसार टिड्डियों का दल अन्य जिलों की तरह अलवर जिले में भी प्रवेश कर सकता है। अलवर में टिड्डी दल के प्रवेश करने के साथ ही यह राजस्थान का 22वां जिला होगा जो टिड्डियों से प्रभावित होगा।

फिर होने वाला है टिड्डी का हमला
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से इन टिड्डियों ने हमला किया है उससे देश में करोड़ों रुपये के कीमत की मूंग दाल और अन्य फसलों के नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है। टिड्डियों का दल अभी राजस्थान, यूपी और मध्यप्रदेश के साथ हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में दिख रहे हैं। अकेले राजस्थान के 21 जिलों में यह दल 95 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसलों को चट्ट कर चुके हैं। यूएन ने चेतावनी दी है कि देश के कई राज्य इससे प्रभावित होंगे। वहीं राजस्थान में आगामी दिनों में भी टिड्डी दलों के हमले देखने को मिलेंगे। मानसूनी हवाओं के साथ जुलाई में दोबारा राजस्थान के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में टिड्डी दलों के लौटने की संभावना है। कृषि आयुक्त ओम प्रकाश के अनुसार टिड्डी दल पाकिस्तान से आ रहे हैं। कृषि विभाग ने अनुसार जैसे-जैसे जिलों में टिड्डी प्रकोप बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे संसाधनों में भी बढ़ोतरी कर रहा है। ड्रोन, दमकल, ट्रेक्टर आदि से कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है।

मानसून से पहले अंडे खत्म करना जरुरी
कृषि विभाग के अधिकारियों को कहना है कि प्रदेश में मानसून आने से पहले टिड्डी दल के अंडे पूरी तरह खत्म करने होंगे। नहीं तो यह बड़ी समस्या होगी। क्योंकि मानसून के बाद किसान खेतों में फसल बोना शुरू कर देगा और टिड्डी दल के हमले उन्हें नष्ट कर देंगे। टिड्डी दलों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जहां इनका ब्रिडिंग सेंटर है वहीं पर गहरा गढ्ढा खोदकर इनके अंडे को दबा दिया जाए तो यह नहीं पनपेगी। माना जाता है कि एक वयस्क मादा टिड्डी अपने तीन महीने के जीवन चक्र में तीन बार में करीब 90 अंडे देती है। ऐसे में अगर यह अंडे नष्ट नहीं हुए तो एक झुंड में 4 से 8 करोड़ तक टिड्डियां प्रति वर्ग किलोमीटर में पैदा हो जाएगी।

दुनिया की सबसे खतरनाक कीट होती हैं टिड्डियां
दुनियाभर में टिड्डियों की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन भारत में केवल चार प्रजाति ही मिलती हैं। इसमें रेगिस्तानी टिड्डा, प्रवाजक टिड्डा, बंबई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा शामिल हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ये हरे-भरे घास के मैदानों में आने पर खतरनाक रूप ले लेते हैं। कृषि अधिकारियों के अनुसार, रेगिस्तानी टिड्डों की वजह दुनिया की दस फीसद आबादी का जीवन प्रभावित हुआ है।

ऐसे पनपती हैं टिड्डियां
टिड्डियों के भारी संख्या में पनपने का मुख्य कारण वैश्विक तापवृद्धि के चलते मौसम में आ रहा बदलाव है। विशेषज्ञों ने बताया कि एक मादा टिड्डी तीन बार तक अंडे दे सकती है और एक बार में 95-158 अंडे तक दे सकती हैं। टिड्डियों के एक वर्ग मीटर में एक हजार अंडे हो सकते हैं। इनका जीवनकाल तीन से पांच महीनों का होता है। नर टिड्डे का आकार 60-75 एमएम और मादा का 70-90 एमएम तक हो सकता है।