महिलाएं ही चेंज एजेंट हैं। महिलाएं नई ऊर्जा के साथ नये युग का सूत्रपात कर सकती हैं। आमतौर पर क्षत्रिय महिलाएं बाहर नहीं निकलती थींं यदि महिलाएं घर से बाहर निकलकर समाज को बदलने की प्रतिज्ञा कर लें तो फिर उन्हें बदलाव लाने से कोई नहीं रोक सकता। यह कहना है मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे का। मुख्यमंत्री राजे शनिवार को सिविल लाइंस पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, राजस्थान के क्षत्राणी शपथ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि घूंघट में रहने वाली क्षत्राणियां आज क्रांतिकारी का रूप लेकर समाज सेवा का जो संकल्प लेने आई हैं, यह सभी समाजों के लिए उदाहरण है और हमारे लिए गौरव का अवसर है। इस मौके पर उपस्थित सैंकड़ों क्षत्राणियों ने समाज सेवा की शपथ ली।
आपने जो चुनरी ओढ़ाई, उसमें जिम्मेदारी का अहसास
मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि आज आपने मुझे जो चुनरी ओढ़ाई है वह वजन में तो हल्की है, लेकिन इसमें एक बड़ी जिम्मेदारी का अहसास है। क्षत्राणियों ने न्याय के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगा दी। आज आप सब भी समाज सेवा के जिस संकल्प के साथ निकली हैं समाज के सभी बुजुर्गां की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपनी बहू-बेटियों के स्वाभिमान और इज्जत की रक्षा के लिए डटकर खडे़ रहें।
महिलाओं में होता है घर संवारने का हुनर
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आज एक नए युग की शुरूआत हुई है। महिला जब बदलाव की भावना के साथ बाहर निकलती है तो सैंकड़ों चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक बदलाव निश्चित रूप से होता है, क्योंकि महिलाएं जिस तरह घर को संवारने का हुनर जानती हैं, उसी तरह वह समाज, देश और प्रदेश को भी एक सूत्र में पिरोने का काम करती हैं।’
36 कौम को साथ लेकर चलने का आह्वान
वसुन्धरा राजे ने क्षत्राणियों का आह्वान किया कि आपने समाज सेवा का जो बीड़ा उठाया है तो 36 की 36 कौम को साथ लेकर चलना होगा। सबके दुख-सुख में साथ खड़ा होना होगा। अपने लक्ष्य पर ध्यान रखकर आगे बढ़ना होगा। तभी हम एक सशक्त समाज और एक सशक्त प्रदेश का निर्माण कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर सुयोग्य बनाएं ताकि वे अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े हो सकें।
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