राजस्थान सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके योजना) ने भीलवाड़ा के एक गरीब दंपत्ति को उनके आंखों के तारे की जिंदगी फिर से लौटा दी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना का फायदा उठा अब यह परिवार राजस्थान सरकार और वसुंधरा सरकार की सरकारी योजना का लख-लख धन्यवाद करता है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक पहल है जिसका उद्देश्य 0 से 18 वर्ष के 27 करोड़ से भी अधिक बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करना है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है।
हार्दिक की उम्र केवल 6 माह का है जो दिल की बीमारी वेन्ट्रीकूलर सेप्टल डिफेक्ट से पीड़ित था। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सीपी गोस्वामी जानकारी देते हुए बताते हैं कि हार्दिक जन्मजा इस बिमारी से पीड़ित था। हार्दिक के पिता अनिल धाकड़ और उनका परिवार कृषि कार्य कर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे। जब हार्दिक 3 माह का था तब उसे न्यूमोनिया हो गया। जब हार्दिक के पिता ने पहले उसे बिजौलियां चिकित्सालय और वहां लाभ न मिलने पर भीलवाड़ा में जांच कराई, जहां उन्हें हार्दिक के दिल में छेद होने का पता चला। यह सुनकर पूरे परिवार में सन्नाटा छा गया। ईलाज में रूकावट बन रही थी अनिल और उसके परिवार की गरीबी। जैसे-तैसे कर अनिकल बच्चे को जयपुर लेकर आए जहां इलाज का खर्चा 2.5 लाख रूपए और साथ में 3 यूनिट ब्लड की मांग भी की गई।
आर्थिक तंगी के कारण इतना पैसा जुटाना उसके पिता के संभव नहीं था। हार्दिक के ईलाज के लिए मात्र एक ही उपाय था कि अनिल अपनी जमीन बेचकर अपने बच्चे का इलाज कराए लेकिन अगर जमीन बेच दी तो परिवार का गुजारा चला पाना मुश्किल था। इसी उधेड़बुन में अनिल जयपुर से वापिस भीलवाड़ा आ गया और सोचने में ही दो महीने निकल गए। एक दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अर्न्तगत मोबाईल हेल्थ टीम माण्डलगढ़ पहुंची। यहां डॉ. राजेश धाकड़ एवं निहारिका शर्मा द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र लक्ष्मीखेड़ाए बिजोलियां में हार्दिक का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ और तुरंत बच्चे का रेफर कार्ड बनाया गया। इस कार्ड को लेकर अनिल धाकड़ जिला अस्पताल पहुंचे, जहां सारी जांच करके बच्चे को जिला आरसीएच कार्यालयए भीलवाड़ा भिजवाया गया।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जिला नॉडेल अधिकारी डॉ. गोस्वामी एवं अतिरिक्त नॉडेल अधिकारी डॉ. सोनिया छाबड़ा ने कार्ड का सत्यापन कर उन्हें नारायणा हृदयालय अस्पताल के लिए जयपुर रेफर कर दिया जहां हार्दिक का इलाज और आॅपरेशन सफलतापूर्व हो गया। 11 दिन वेन्टीलेटर पर रहने के बाद हार्दिक अब स्वस्थ है।
आपको बता दें कि हार्दिक के ऑपरेशन का सारा खर्च राजस्थान सरकार द्वारा वहन किया गया था। अपनी आंखों में आंसु भरे हुए अनिल धाकड का कहना था कि राज्य सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का सहारा नहीं मिलता तो शायद उसे हार्दिक के इलाज के लिए जमीन बेचनी पड़ जाती। लेकिन सरकार की योजना से उसके बच्चा भी ठीक है और जमीन भी उसके पास है जिससे वह परिवार का गुजर बसर कर सकता है। अनिल धाकड़ राजस्थान सरकार और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना का तहे दिल से धन्यवाद करता है जिससे उसके बच्चे की जिंदगी बच सकी।
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