आज अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस है और देशभर में 9 से 14 अक्टूबर तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी क्रम में हम बताने जा रहे है राजस्थान की बेटी शानू कंवर की कहानी। शानू कोटा की रहने वाली है और पिछले महीने में ही हिमालय क्लाइंबर की ओर से आयोजित एक इंवेट में दो बार 16 हजार फीट की ऊंचाई को छूकर रिकॉर्ड बना चुकी हैं। 5 से 6 दिनों तक चलने वाले स्लॉट में शानू ने 16 हजार फीट की ऊंचाई तक ट्रैकिंग की। सबसे खास बात यह थी कि इस इवेंट में शानू एकमात्र लड़की थी और इसके बाद भी सबसे आगे रही।
धैर्य व साहस विरासत में मिले
जैसाकि आप तौर पर समाज में होता है, लोगों का यही सोचना था कि एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए लड़कियां नहीं बनी हैं। खासतौर पर इस तरह के खतरनाक कामों के लिए तो बिलकुल भी नहीं। इसके बाद भी शानू ने अपने पैशन के आगे किसी की नहीं सुनी। शानू के स्व. पिता लोकेंद्र सिंह आर्मी में थी और मां रानी कंवर एक गृहिणी है। धैर्य व साहस तो शानू को अपने पिता से विरासत में मिले ही थे, घर वालों ने भी उनका पूरा सपोर्ट किया। आर्मी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद शानू ने जेडीबी कॉलेज से ग्रेजुएशन की और अब कॉम्पटीटिव एग्जाम की तैयारियां कर रही है।
उत्तराखंड के रूपकुंड से लोहाजंग की ट्रैकिंग आसान नहीं
जहां शानू ने ट्रैकिंग की वह उत्तराखंड के रूपकुंड से लोहाजंग के बीच का इलाका है, जहां ट्रैकिंग बिलकुल भी आसान नहीं है। इसके बाद भी शानू हिमालय पर्व पर उसकी तरह ही अटल रही। 9 से 15 सितम्बर के बीच चले इस ट्रैकिंग कैम्पेन में सुबह 4 से शाम 7 बजे यानि दिन में कुल 15 घंटे ट्रैकिंग करना होता है। शानू सातवें दिन 16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर खड़ी थी। 25 से 30 सितम्बर को फिर हुई ट्रैकिंग में शानू 16 हजार फीट की ऊंचाई तक गई। इस तरह केवल 20 दिनों के अंतर में शानू कंवर ने दो बार 16 हजार की ऊंचाई पर कदम रखा।
खतरों से खाली नहीं है रॉक क्लाइमिंग
रॉक क्लाइमिंग एक ओर जहां खूबसूरत और रोमांच भरा होता है, वहीं इसी ट्रैकिंग उतनी ही मुश्किल होती है। एक बार चढ़ने के बाद ट्रैक को याद भी रखना होता है जो काफी मुश्किल होता है। टीम के साथ कोआॅर्डिनेशन और शिड्यूल का पूरा ध्यान रखना दोनों ही बाते बेहद जरूरी होती हैं।
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