वसुंधरा राजेे सरकार राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। वर्तमान बीजेेपी सरकार ने टूरिज्म के क्षेत्र में ज़मकर विकास कार्य करवाएं हैं। सीएम राजे ने हाल ही में पर्यटकों की सुविधा और पर्यटन स्थल की जानकारी और अन्य सभी जरूरी जानकारी के लिए अपने गृह क्षेत्र झालावाड़ में ‘LeZgo!’ ऐप लॉन्च किया था। अब राजस्थान में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने ट्राइबल टूरिज्म की कार्ययोजना बनाकर केंद्र सरकार को भेजी है। राज्य सरकार ने आदिवासी क्षेत्र में विकास के लिए 100 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इससे पहले ही केंद्र सरकार ट्राइबल टूरिज्म सर्किट बनाने की मंजूरी दे चुकी है। इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि केंद्र राज्य सरकार के प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी दे सकता है। राज्य सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में स्थित पर्यटन स्थलों के विकास के लिए यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा है।
मजबूत होगी इकॉनोमी, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर: अगर केंद्र सरकार राजस्थान के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य के पिछड़े जिलों में विकास को नई रफ्तार मिलेगी। खासतौर पर दक्षिण राजस्थान के आदिवासी आबादी वाले जिलों को इस प्रोजेक्ट से फायदा होगा। आदिवासी आबादी वाले जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, सिरोही, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ आदि जिलों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
बेणेश्वर धाम होगा दुनिया के पटल पर: प्रदेश के आदिवासियों का सबसे बड़ा आस्था केंद्र और डूंगरपुर जिले में तीन नदियों के संगम तट पर स्थित बेणेश्वर धाम विश्व पटल पर होगा। बेणेश्वर धाम बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों की आदिवासी जाति का सांस्कृतिक रूप से जुड़ावा केंद्र भी है। इसके अलावा इन जिलों में घोटिया आंबा, भैरवजी आदि के मेलों को देखने का पर्यटकों को अवसर मिलेगा।
आदिवासी संस्कृति होगी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र: डूंगरपुर और बांसवाड़ा आदिवासी बहुल जिलें हैं। यहां की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी है। जिसमें बड़ी संख्या युवाओं की है। आदिवासी समाज की परंपराएं, संस्कृति पर्यटकों को लुभाने में मददगार साबित होगी। जिससे राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हो सकती है। स्थानीय युवाओं को कई तरह के रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। और ट्राइबल इलाके दुनिया के पटल पर होंगे।