कल शुक्रवार को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश के पर्यटन, देवस्थान विभाग और धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश के पर्यटन विकास और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए संचालित हो रही विभिन्न विकास योजनाओं और विकास कार्यों के बारे में जानकारी लेकर उनकी समीक्षा की। इस बैठक में मुख्यमंत्री राजे ने जयपुर के किशनबाग, आमेर के हाथीगांव, चौड़ा रास्ता स्थित पर्यटक सुविधा केन्द्र तथा रामनिवास बाग में स्ट्रीट फूड कॉर्नर, चितौड़गढ और जैसलमेर के सोनार किले, धौलपुर में मचकुण्ड आदि पर्यटन स्थलों पर चल रहे विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी की।
कार्यनीतियां बनाकर बचाए धरहरों को जर्जर होने से
इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य के पर्यटन विभाग के अधिकारियों को ऐतिहासिक धरोहरों को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाने के लिए कार्ययोजना व विशेष नीतियां बनाने के लिए निर्देशित किया। मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि पर्यटन महत्व के छोटे-छोटे किलों, महलों तथा हवेलियों के संरक्षण की दिशा में राजस्थान सरकार काम कर रही है। मुख्यमंत्री राजे ने बताया कि पुरातात्विक क़िले, महल और धरोहर जो जर्जर ढांचों में बदलते जा रहे हैं उन्हें बचाकर वहां पर्यटन की सम्भावनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। विशेष पर्यटन नीति बनाकर धरोहर को बचाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। राजस्थान के धार्मिक दृष्टि से समृद्ध शहरों और छोटे कस्बों में साफ-सफाई की उन्नत व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा विशेष समितियां बनाने का सुझाव मुख्यमंत्री राजे ने दिया।
ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए निवेशकों को प्रस्ताव दिया जाएगा
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जिला कलेक्टरों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रदेश के हर ज़िलें की ऐसी सम्पत्तियाँ और धरोहर जो जर्जर हो चुकी है उनके संरक्षण के लिए उनकी तस्वीरें पूरी जानकारी के साथ सूचीबद्ध की जाएगी। इसके लिए पर्यटन विभाग ऑनलाइन बिडिंग के ज़रिये ऐसी प्रॉपर्टीज के रखरखाव हेतु निवेशकों को निवेश काने के लिए प्रस्ताव देगा।
चरणों में किया जा रहा है राजकीय संग्रहालयों का संरक्षण
इस समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश के राजकीय संग्रहालयों के संरक्षण के पहले चरण के अंतर्गत सम्मिलित 10 संग्रहालयों के कार्य साल 2018 में मई तक पूरे कर लिए जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण के तहत आठ संग्रहालयों का संरक्षण कार्य सितम्बर 2018 तक पूरा किया जाएगा।