handpump

देशभर में मरू एवं शुष्क प्रदेश के रूप में जाने जाने वाले राजस्थान में सरकार ने पानी की कीमत को समझते हुए अब तक कई अनूठी मिसालें पेश की है। चाहे मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन अभियान द्वारा राज्य के गाँव-गाँव को जल की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाना हो या ग्रामीण इलाकों में शुद्ध एवं मीठा पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आरओ संयंत्र की स्थापना, सभी अपने-आप में एक अप्रतिम पहल रही है। जल संरक्षण की इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने अब ग्रामीण इलाकों में पेयजल के मुख्य स्त्रोत कहे जाने वाले हैंडपंपों की मरम्मत एवं संरक्षण करने का बीड़ा उठाया है। सरकार ने इसके लिए राज्य के सभी हैंडपंपों को एक विशेष पहचान संख्या देने का निर्णय लिया है। अगले तीन माह के अंदर प्रदेश के सभी हैंडपंपों के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी कर दिए जायेंगे।

फर्ज़ीवाड़ा रोकने व समय पर मरम्मत करने के लिए लिया गया फैंसला:

राज्य सरकार इस कार्यनीति के अंतर्गत जलदाय विभाग द्वारा प्रदेश के सभी हैंडपंपों को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा। ये नंबर ही किसी हैंडपंप की पहचान संख्या होंगे। इनके आधार पर इन हैंडपंपों के बारे में सूचनाओं का रिकार्ड तैयार किया जाएगा।

अब तक प्रदेश में सरकार की ओर से स्थापित हैंडपंपों के खराब होने पर उनकी मरम्मत की सूचनाओं का सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं होता। इसके कारण बड़ी संख्या में हैंडपंपों के फर्जीवाड़े की शिकायतें आती है। कुछ लोग इन हैंडपंपों को बाज़ार में बेच देते है। सरकार के इस कदम से अब इस तरह के फर्ज़ीवाड़े पर रोक लगेगी।

जियो टैगिंग के माध्यम से रखी जाएगी निगरानी:

राज्य सरकार के जलदाय विभाग की ओर से राज्य के गाँव और शहर के सभी हैंडपंपों पर स्टैम्पिंग या पैन्ट करवाकर यूनिक नंबर दिया जाना प्रस्तावित है। इस स्थिति में यदि कोई हैंडपंप खराब हो जाया है तो उपभोक्ता या आस-पास का निवासी यूनिक नंबर के आधार पर ही विभाग को शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। सरकार इन सभी हैंडपंपों की मॉनिटरिंग जियो टैगिंग के माध्यम से करेगी। इसमें सैटेलाइट विधि से एक-एक हैंडपंप का रिकार्ड भी रखा जाएगा।

छात्रों को मिलेगा इंटर्नशिप का अवसर:

राजस्थान सरकार अपनी इस कार्ययोजना का बहुआयामी लाभ सभी को देना चाहती है। इसके लिए हैंडपंप मरम्मत अभियान के दौरान राज्य के आईटीआई और पॉलीटेक्निक कॉलेजों में फीटर ट्रेड में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों को तीन महीने तक इंटर्नशिप का मौका दिया जाएगा। एक हैंडपंप मिस्त्री के साथ तीन छात्रों की टीम तैयार की जाएगी। इस तरह प्रदेशभर में हर ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रों में यह टीमें बनाई जाएंगी। इस योजना से एक ओर जहां छात्रों को फील्ड में व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा, वहीं दूसरी ओर जलदाय विभाग को हैंडपंप की मरम्मत के लिए पर्याप्त मैनपावर मिल सकेगा। स्किल ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे युवाओं में इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। राज्य के प्रत्येक जिला स्तर पर अधीक्षण अभियंताओं द्वारा इस पूरे कार्य की निगरानी एवं देख-रेख की जाएगी।