जयपुर। बीते दिनों अशोक गहलोत सरकार ने मंत्रिमंडल के पुनर्गठन किया था। इसमें मंत्री पद नहीं मिलने से कांग्रेस, बसपा से आए विधायक और सरकार का साथ दे रहे निर्दलीय विधायकों ने असंतोष की आ रही खबरें सामने आ रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि 19 विधायकों के जाने पर जिन्होंने सरकार बचाई उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। एक बार फिर आलाकमान से चर्चा कर केबिनेट पुनर्गठन करेंगे।
पायलट खेमे पर हमला
मुख्यमंत्री गहलोत के इस बयान को सीधे तौर पर सचिन पायलट खेमे पर हमले के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जब यह बात कही उस दौरान बैठक में पायलट खेमे के विधायक व मंत्री भी मौजूद थे। अशोक गहलोत पीसीसी मुख्यालय में प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ 12 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को लेकर मंत्री-विधायकों और प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा कर रहे थे।
इन विधायकों को मिलेगा मौका
इस बीच मुख्यमंत्री के फिर केबिनेट पुनर्गठन के वक्तव्य और अच्छा काम नहीं करने वाले मंत्रियों के बदले जाने की बात कहने से सियासी चर्चा फिर शुरू हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य से मंत्री नहीं बनने से निराश हुए विधायकों को भी संबल मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कई चेहरे हैं, जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल पुनर्गठन में मौका नहीं मिला। उनके लिए फिर फेरबदल करेंगे, जिससे उन्हें आगे शिकायत का मौका नहीं मिले। इन लोगों ने सरकार बचाने में सहयोग नहीं दिया होता तो सरकार नहीं बचाई जा सकती थी।
पहले 15 नए मंत्रियों ने ली थी शपथ
21 नवंबर को राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट गुटों को ‘एकजुटता’ में बदलते हुए मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर किया था। कुल 15 नए मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें 11 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री शामिल हुए। इन 15 मंत्रियों में से 4 एससी से हैं। इस तरह अब गहलोत मंत्रिमंडल में सभी 30 मंत्रियों में से 9 (कैबिनेट का 30%) एससी-एसटी वर्ग से आते हैं। साथ ही मंत्रिमंडल का 10% यानी 3 महिला मंत्री हैं। इसके अलावा चार मंत्री ओबीसी (सभी जाट) वर्ग से हैं। गहलोत सरकार की ये कैबिनेट 30 मंत्रियों के साथ अब अपनी पूरी क्षमता (कुल विधानसभा सीटों का 15%) में है।