जयपुर। निर्भया गैंगरेप कांड में आखिरकार सात साल बाद चारों दोषियों को फांसी दे दी गई। ठीक साढे 5 बजे तिहाड़ जेल के फांसी घर में चारों दोषियों को फांसी के फंसे पर लटकाया गया। तिहाड़ जेल के डॉयरेक्टर संदीप गोयल ने चारों दोषियों की फांसी के फंदे पर लटकाने की पुष्टि की। चारों दोषियों को पवन जल्लाद ने फांसी दी। जानकारी के मुताबिक, निर्भया के चारों दोषियों ने कोई अंतिम इच्छा जाहिर नहीं की थी। तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे को उनके परिवारवालों को दिया जाएगा। इसके अलावा उनके कपड़े और अन्य सामान भी परिजनों को सौंप दिए जाएंगे।
आज मेरी बेटी को इंसाफ मिला- आशा देवी
फांसी मिलने के बाद निर्भया की माता ने कहा कि आखिरकार 7 साल बाद निर्भया को इंसाफ मिला। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि देर से ही सही लेकिन इंसाफ मिला। आज न्याय प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ा है। आशा देवी ने कहा कि मुझे अपनी बेटी निर्भया पर गर्व है । मां का जो धर्म होता है उसे मैंने निभाया है। सात साल से अधिक लंबी लड़ाई में आखिर सच की जीत हो गई। आज का दिन निर्भया दिवस या महिला सुरक्षा दिवस के रूप में मनाएंगे। आज का दिन देश की बच्चियों के नाम होगा। वहीं निर्भया के पिता ने कहा कि आज का दिन सिर्फ निर्भया का ही नहीं बल्कि हर महिला, बच्ची का दिन है। आज के दिन की व्याख्या नहीं की जा सकती।
2012 में छह दरिंदों ने किया था दुष्कर्म
आपको बता दें कि कि 16 दिसंबर 2012 की देर रात दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इस मामले में दरिंदों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थी। इसके बाद युवती को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया। गंभीर हालात में युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन हालत बिगड़ने पर उसे सिंगापुर रेफर कर दिया गया। जहां पीड़िता ने दम तोड़ दिया। एक ने जेल में खुदकुशी कर ली थी, दूसरा नाबालिग था इसलिए तीन साल बाद छूट गया। बाकी बचे चार- मुकेश (32 साल), अक्षय (31 साल), विनय (26 साल) और पवन (25 साल) अपनी मौत से 2 घंटे पहले तक कानून के सामने गिड़गिड़ाते रहे। अंत में जीत निर्भया की ही हुई।
दुष्कर्म के मामले में पिछली बार 16 साल पहले दी गई थी फांसी
14 अगस्त 2004 को धनंजय चटर्जी को अलीपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। वह कोलकाता में 14 साल की छात्रा से दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने का दोषी था। इसके बाद 3 आतंकियों को मौत की सजा दी गई। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु, 21 नवंबर 2012 को अजमल कसाब और 30 जुलाई 2015 को याकूब मेनन को फांसी पर लटकाया गया था।