जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनवों को ऐलान हो गया है। जनवरी में 3 चरणों में यह चुनाव कराए जाएंगे। राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश की 9171 ग्राम पंचायतों के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। पहले चरण के चुनाव के लिए आगामी 17 जनवरी, दूसरे चरण के लिए 22 जनवरी और तीसरे चरण का चुनाव 29 जनवरी को मतदान होगा। पंचायतों के पुनगर्ठन को लेकर कोर्ट में दायर याचिकाओं के कारण इस बार पंचायत समितियों और जिला परिषदों के चुनाव साथ में नहीं कराए जा रहे है। ये चुनाव बाद में होंगे। जिन पंचायत समितियों और जिला परिषद के सदस्यों का चुनाव कार्यकाल समाप्त हो रहा है वहां सरकार प्रशासक लगाएगी।
सरपंच के ईवीएम मशीन से और वार्ड पंचों के बैलेट पेपर होंगे चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश की 9,171 ग्राम पंचायतों के चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त प्रेम सिंह मेहरा ने गुरुवार को राजधानी जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। राज्य में 3 चरणों में चुनाव करवाए जांएगे। सरपंच के चुनाव ईवीएम मशीन से कराए जाएंगे, जबकि वार्ड पंचों के चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। चुनाव में शैक्षणिक बाध्यता नहीं रहेगी।
ऐसे होगा तीन चरणों में चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त प्रेम सिंह मेहरा ने कहा कि प्रदेश में कुल 11,142 ग्राम पंचायतें हैं। लेकिन कानूनी विवाद के चलते सिर्फ 9,171 ग्राम पंचायतों के चुनाव ही कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिला परिषद सदस्यों और पंचायत समितियों शेष बची अन्य ग्राम पंचायतों के चुनावों के तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा। पहले चरण में 3,691 ग्राम पंचायतों के चुनाव होंगे। इनके साथ इनके 36,047 पंचायत वार्ड पंच के चुनाव होगा। दूसरे चरण में 3,237 ग्राम पंचायतों तथा इनके 31,376 वार्ड पंचों का चुनाव होगा। तीसरे चरण में 2,243 ग्राम पंचायतों तथा इनके 22,977 वार्ड पंचों का चुनाव होगा।
आचार संहिता लागू
चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही इन क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अब सरकार लोक लुभावन घोषणाएं नहीं कर सकेगी। तबादलों पर प्रतिबंध रहेगा। मंत्रियों के राजकीय दौरे पर सरकारी मशीनरी का उपयोग करने पर रोक रहेगी। मतदान के दिन और उसके पूर्व के 48 घंटों के दौरान शराब वितरित नहीं की जा सकेगी। वहीं सरकार वित्तीय मंजूरी नहीं दे सकती और नई स्कीम की आधारशिला रखने पर भी रोक रहेगी।
शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता हटाई
पिछली बार भाजपा सरकार ने पंचायत चुनाव लडने वालों के लिए न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता निर्धारित कर दी थी। उस समय कांग्रेस ने इसका कडा विरोध किया था। इस बार चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह अनिवार्यता हटाने का वादा भी किया था और सरकार में आते ही इसे हटा भी दिया गया। ऐसे में इस बार शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है और कोई भी चुनाव लड सकेगा। वहीं दो से अधिक संतान वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।