जयपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को सीएए और एनआरसी के विरोध में अल्बर्ट हॉल से गांधी सर्किल तक सर्वदलीय शांति मार्च निकाला गया। इसमें सात दलों के कार्यकर्ता, नेता और कर्मचारी संगठन और अन्य संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। शांति मार्च में किसी तरह की नारे नहीं लगाए गए और यह पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती दी है। उन्होने कहा कि मोदीजी, सुनो मैं राजस्थान में सीएए और एनआरसी को लागू नहीं होने दूंगा। सीएए के खिलाफ अल्बर्ट हॉल से शांति मार्च निकालने के बाद गांधी सर्किल पर हुई सभा में गहलोत ने कहा कि नागरिकता के नाम पर नोटबंदी की तरह आप लोगों को लाइन में खड़ा कर जलील करना चाहते हो। आपका राष्ट्रवाद खोखला है। असली राष्ट्रवादी यहां की जनता है, जो बड़ी संख्या में शांति मार्च में आई है।
इस कानून को वापस लो : गहलोत
गहलोत ने कहा कि असम में एनआरसी में क्या हुआ। 19 में से 16 लाख हिंदू एनआरसी से बाहर हो गए। सुप्रीम कोर्ट को मॉनिटरिंग करनी पड़ी। एनआरसी केवल मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी के खिलाफ है। अगर पूरे हिंदुस्तान में एनआरसी लागू हुई तो पूरे देश में लोग लाइनों में लगेंगे, जिनका इनको एहसास नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता ने आपको चुना है तो जनता की सुनो और इस कानून को वापस लो। आज इस कानून के खिलाफ जयपुर में सैलाब उमड़ पड़ा है। आने वाले समय में जनता इसका माकूल जवाब भी दिया जाएगा।
पूनिया बोले- जनता घरों में कैद, अशांति मार्च निकाल रहे थे मुख्यमंत्री
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने जयपुर में निकाले गए कांग्रेस के प्रदर्शन पर कहा है कि मुख्यमंत्री एक समुदाय विशेष की भीड़ का नेतृत्व कर क्या संदेश देना चाह रहे थे। वो लोकतंत्र का कौनसा रूप दिखा रहे थे, जिसमें जबरन लोगों की दुकाने बंद करवा दी गई, शहर के यातायात को अवरुद्ध कर दिया गया। इतिहास में पहली बार हुआ जब अपनी ही जनता में डर और दहशत पैदा करने सरकार और उसके मुखिया सड़क पर उतरे।
न्याय के खिलाफ सड़क पर उतरी सरकार
उन्होंने कहा कि ये पहली बार हुआ है की जनता को घरों में कैद करके, इंटरनेट बंद करके, दहशत का वातावरण बनाकर, सरकार का मुखिया शांति मार्च निकालने का दावा कर रहा है। दो दिन पहले नागरिता संशोधन अधिनियम के समर्थन में भाजपा के हजारों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था जिसका शहर के लोग स्वागत कर रहे थे, न किसी को इंटरनेट बंद करने की जरूरत न पड़ी, न किसी दशहत थी और आज खुद सरकार न्याय के खिलाफ सड़क पर उतरी और डर के मारे लोग घरों में कैद हो गए।