सत्ता परिवर्तन होते ही गुलाबी नगर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली द्रव्यवती नदी के काम की गति काफी धीमी हो चुकी है। वसुंधरा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट रहे द्रव्यवती नदी परियोजना के 16 किमी क्षेत्र के उद्घाटन के समय तक जेडीए अधिकारी व कर्मचारी इस प्रोजेक्ट को जल्द ही पूरा करने में लगे हुए थे। लेकिन सत्ता बदलते ही अब कांग्रेस सरकार आने से एक बार फिर प्रोजेक्ट के जल्द पूरा होने पर संकट मंडरा रहा है। अधिकारियों की माने तो आने वाले कुछ दिनों के भीतर यहां यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का दौरा प्रस्तावित है। कयास लगाए जा रहे है कि मंत्री धारीवाल के दौरे के बाद परियोजना का काम गति पकड़ सकता है।
सरकार बदलते ही जेडीए के अधिकारियों का सुस्त रवैया और कई इंजीनियरों के अपने-अपने जोन में वापस जाने के बाद परियोजना में कामगारों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है। वसुंधरा सरकार के समय करीब 15 से अधिक जेईएन व एईएन यहां लगे हुए थे जिनकी संख्या में अब कमी हो गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में 15 अगस्त 2018 तक नदी निर्माण का कार्य पूरा होना था, जिसे जेडीए ने बढ़ाकर 10 अप्रैल 2019 तक कर दिया है। जानकारी के मुताबिक पहले यहां 5500 कर्मचारी ही काम कर रहे थे जिनकी संख्या अब महज 3500 रह गई है। यानी कर्मचारियों की संख्या में 37 प्रतिशत तक की कमी आई है।
गौरतलब है कि वसुंधरा सरकार ने जयपुर शहर की जीवन रेखा रही द्रव्यवती नदी को अतिक्रमण, प्रदूषण और अपशिष्ट से मुक्त कराकर इसे पर्यटन गतिविधियों के बड़े केन्द्र के रूप में विकसित करने का कदम उठाया था। पूर्व में अमानीशाह नाले से जहां जयपुरवासियों को परेशानी होती थेी, उसे द्रव्यवती नदी के रूप में परिवर्तित कर शहर की खूबसूरती को बढ़ावा मिला है।