news of rajasthan
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान
news of rajasthan
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान

राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही नए सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश के किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जा माफ करते हुए सभी जगह वाहवाही लूट ली। राजस्थान तीसरा ऐसा राज्य बना जहां हाल ही में कांग्रेस सरकार बनी और किसानों को कर्जमाफी मिली। प्रदेश के 28 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिलना तय है लेकिन नई नवेली सरकार प्रदेश के कृषकों के आंकड़ों को शायद देखना भूल गई है। वर्तमान में राजस्थान में अन्नदाताओं की संख्या 55 लाख से भी अधिक है। इसमें अधिकांश वे हैं जो खेती पर जीवन बसर करने वाले हैं।

वर्तमान में प्रदेश के 55 लाख किसानों पर 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। इनमें से अगर 28 लाख किसानों को मिलने वाला दो लाख रुपए तक का कर्जा माफ का दिया जाए तो यह 14 हजार करोड़ रुपए आता है। अन्य बैंकों के 11 लाख डिफॉल्टर किसानों का 4 हजार करोड़ का केवल ब्याज माफ किया गया है। इसके बाद इतनी ही बड़ी संख्या उन कृषकों की भी रह जाती है जिनपर 76 हजार करोड़ रुपए का कर्जा शेष रह जाता है। ऐसे में 94 हजार करोड़ के बदले 18 हजार करोड़ रुपए की कर्ज माफी कुछ यूं है कि ऊंट के मुंह में जीरा।

अब आते हैं दूसरे पॉइंट पर जो यह पूर्ण कर्जमाफी। नई सरकार ने अधिकांश जगह यही प्रचारित कराया है कि 28 लाख किसानों का पूरा कर्ज माफ किया गया है लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। पहली तो यह कि यह कर्जमाफी अधिकतम दो लाख रुपए पर है।

दूसरी, केवल सहकारी बैंकों एवं सहकारी समितियों से जिन किसानों ने ऋण लिया है, वही किसान इस श्रेणी में आएंगे। ऐसे में जिन किसानों ने बेहद अधिक दरों पर प्राइवेट बैंकों से फसली कर्ज लिया है, उनके हाथ खाली के खाली रह गए।

तीसरा यह कि हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने किसानों का 50 हजार रुपए तक का फसली ऋण माफी किया था जिसकी अनुमानित लागत साढ़े नौ हजार करोड़ रुपए आया है। ऐसे में अधिकांश किसान इस योजना का लाभ पहले ही उठा चुके हैं।

चौथा यह कि डिफॉल्टर किसानों का केवल ब्याज माफ किया जाएगा​ जिनकी संख्या सरकारी मापदंड से तय होगी। असल में बात यह है कि किसान डिफॉल्टर इसलिए हुए क्योंकि वह मूलधन चुकाने की स्थिति में ही नहीं थे। अब अगर उनका ब्याज माफ भी कर दिया जाए तो भी उनकी स्थिति तो फिर से वही रह गई। यानि मूलधन तो अभी भी उनसे चुकाया नहीं जाएगा।

पांचवा यह कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जदार किसानों पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है।

छठा यह कि यह कर्जमाफी केवल अल्पकालीन फसली ऋण लेने वालों के लिए है। अगर किसी ने अन्य राष्ट्रीयकृत या व्यावसायिक बैंकों से फसली लोन लिया है लेकिन डिफॉल्टर की श्रेणी में नहीं हैं, उनके लिए भी कोई फायदे का सौदा नहीं है।

Read more: आॅफिस की चिंता लिए एक घंटे सचिवालय में भटकते रहे सचिन