जब कोई बालक किसी बड़े व्यक्ति को अच्छा काम करते देखता है तो, उसके मन में भी ये इच्छा जाग उठती है की वह भी ऐसा काम करे। ताकि उसे भी लोगों का प्यार और शाबाशी मिले। लेकिन जब तक वो पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं हो जाता, तब तक वो ये बात कभी नहीं समझ पता की किसी भी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पहले उस लायक बनना पड़ता है। ज़िम्मेदार बनने से पहले समझदार होना पड़ता है, उपुक्त ज्ञान लेना पड़ता है। अनुभव कामना पड़ता है। सिर्फ़ चंद लोगों के द्वारा झाड़ के पेड़ पर चढ़ा देने से कोई ना तो ज़िम्मेदार बनता है और ना ही उम्मीदवार। लेकिन फिर भी कांग्रेस के दो नाबालिग राजनीतिज्ञ राहुल गांधी और सचिन पायलट बेकार की कोशिशों में लगे हुए हैं।
कांग्रेस संकल्प रैली
आज राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध सांवलिया सेठ के मंदिर से कांग्रेस ने भी अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत कर दी है। उन्होंने अपनी चुनावी यात्रा को नाम दिया है संकल्प रैली। वो किस बात का संकल्प लेना चाहते हैं ये समझ नहीं आता। लेकिन एक बात जरूर हो सकती है। हर बार अपनी बचकानी हरकतों और बेतुके बयानों की वजह से लोगों का मनोरंजन करने वाली पार्टी के नेता शायद इस बार भी मनोरंजन के नए साधन लेकर आ सकते हैं। अक्सर कहा जाता है की राजस्थान की सत्ता का रास्ता मेवाड़ के गलियारों से होकर ही जाता है। ऐसे में कांग्रेस भी अपना भाग्य आजमाने के लिए रण में कूद चुकी है। ये बात स्पष्ट तौर पर साफ़ दिखाई दे रही है की कांग्रेस ने बड़ी आस के साथ मेवाड़ में झोली फैलाकर चुनाव यात्रा शुरू की है। अब ये बात पूर्ण रूप से आमजन पर निर्भर करती है की मेवाड़ की जनता इस बार किस करवट बैठेगी।
क्या संकल्प लेगी कांग्रेस
पहले ये बात करते हैं की कांग्रेस बीजेपी के बारे में क्या कहती है ? बीजेपी ने अपने शासनकाल में लगातार आमजन की अनदेखी की है। पिछले साढ़े चार सालों में राजस्थान का हर तबका परेशान हुआ। जनता की परेशानी को देखते हुए कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर रैली शुरू की है, उनमे भ्रष्टाचार, किसान, मंहगाई, बेरोगजारी और शिक्षा है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने प्रदेश में नए विद्यालय खोलने की बजाय विद्यालयों का विलय कर दिया। जिससे 22 हजार से ज्यादा स्कूल बंद हो गए। बीजेपी की खराब नीतियों के चलते राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था बर्बादी के मुहाने पर आ खड़ी हुई है।
लेकिन ये सब बातें है कहाँ ? कहीं कोई लोग परशान नहीं दिखाई देते। कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं होता। यदि कहीं होता है, तो उसे तुरंत रंगे हाथ पकड़ लिया जाता है। सरकारी योजनाओं में तो भ्रष्टाचार होने से रहा। सारी योजनाओं को तो ऑनलाइन कर दिया गया है। 15 लाख़ युवाओं को रोज़गार दिया जा चूका है। प्रदेश में वर्ष 2013 तक मात्र 4435 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय थे, जो बढ़कर अब 9435 हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस के सारे मुद्दे तो खोखले हो गए हैं। तो क्या कांग्रेसी सिर्फ़ कोरी राजनीति करेगी।
मेवाड़ से ही क्यों?
दअरसल बात ये है राजस्थान की राजनीति की रीती रही है, की जिसने मेवाड़ का गढ़ जीत लिया उसने पुरे राजस्थान को जीत लिया। इसलिए उदयपुर संभाग हमेशा से ही सभी राजनीतिक पार्टियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। मेवाड़ के लोग भी राजनीति का जमकर लुत्फ़ उठाते हैं। एक बार भाजपा की झोली खुशीओं से भर देते हैं तो एक बार कांग्रेस को जीत का चूरन चटा देते हैं। ये राजस्थान का इतिहास रहा है की अब तक हर बार सत्ता में आने वाली पार्टी बदल दी जाती है। मेवाड़ में कुल 28 विधानसभा सीटें हैं। ऐसे में जिसके हिस्से में ज़्यादा सीटें आएंगी। सत्ता में उसी का वजन ज्यादा रहेगा। ऐसे में कांग्रेस भी अपनी नैया पार करने की कोशिश में मेवाड़ जा पहुंची है।
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क्या बच्चों की रणनीति काम आएगी
उदयपुर संभाग का अब तक का ये नियम रहा है, की इस संभाग ने हर विधानसभा चुनावों में सरकार को बदल दिया। जब 2013 में भाजपा सत्ता में आयी थी। तब उसे 25 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं 2008 में कांग्रेस ने 20 सीटों पर जीत दर्ज़ कर अपनी सरकार बनायी थी। पूर्व के वर्षों में भी इस संभाग में पार्टियों की जीत का क्रम यही रहा है। ऐसे में कांग्रेस नयी रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी। लेकिन चूँकि कांग्रेस की कमान इस बार अनुभवहीन सचिन पायलट के हाथों में है। ऐसे में देखना ये रहेगा की आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस के बच्चों राहुल गाँधी और सचिन पायलट की क्या रणनीति रहेगी और वो कितनी कारगर साबित होगी।