राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के महेश राजसोनी को पुरानी भारतीय कलाकारी थेवा कला के लिए लंदन में भारत गौरव अवॉर्ड से नवाजा गया है। राजसोनी को लंदन में ब्रिटिश पार्लियामेंट के हाउस ऑफ कॉमन्स मे पिछले दिनों आयोजित एक कार्यक्रम में विश्व में भारतीय कला का नाम रोशन करने और व्यक्तिगत विशिष्ठ उपलब्धि के लिए यह सम्मान दिया गया। उन्हें एक भारतीय संस्था द्वारा पुरस्कार सम्मान में प्रमाण पत्र, दुपट्टा व स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
थेवा कला राजस्थान में बेशकीमती नगीनों, कांच के पत्थरों, रत्नों आदि पर सोने की बारीक नक्काशी उकेरने की यह अनूठी और और बेजोड़ कलाकारी है। राजसोनी वंशज इस कला को सदियों से करते आ रहे हैं। फिलहाल देश में इस कला को जानने वाले कुछ राजसोनी परिवार ही शेष बचे हैं।
महेश राजसोनी एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थेवा कलाकार हैं और राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। लंदन से दिल्ली लौटे महेश राजसोनी ने अपनी कला के बारे में बताया, ‘प्रतापगढ़ की सैकड़ों वर्ष पुरानी थेवा कला अब राष्ट्रीय सीमाओं से पार विदेशों में भी लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।’ इस बिरले काम की कला को संरक्षण देने और इसकी मौलिकता को बनाये रखने के मार्ग में नई आधुनिक डिजाइनों के नाम पर थेवा कला का महंगा व्यवसायिकीकरण करने वाले लोग सबसे बड़ी चुनौती है।’ थेवा कला को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही पहचान से वह बहुत खुश है।
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