राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने गुरूवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान कहा कि राज्य सरकार द्वारा एमबीसी में शामिल गुर्जरों सहित पांचों जातियों को ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। अतः इसके लिए अलग से एमबीसी के जाति प्रमाण पत्र की कोई आवश्यकता नहीं है। बता दें, राजस्थान सरकार ने हाल ही में गुर्जरों सहित 5 जातियों को ओबीसी से अलग एमबीसी कैटेगरी में 1 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के आदेश जारी किए हैं। इसके तहत एमबीसी की 5 जातियों को वर्तमान में ओबीसी के साथ अलग से 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।
विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में उठाया गया था एमबीसी मुद्दा
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता डॉ. चतुर्वेदी ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शून्यकाल में इस संबंध में उठाये गये मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 2015 में सरकार एसबीसी बिल लेकर आई और उच्च न्यायालय के बाद इसे उच्चतम न्यायालय तक लेकर गई। उन्होंने कहा कि इस अवधि में जितनी भी नौकरियां पाइपलाइन में थीं, उनमें आरक्षण का लाभ दिया गया है। मंत्री चतुर्वेदी ने आगे कहा कि इस बिल की विसंगतियों को दूर कर सरकार पुनः 2017 में एमबीसी एक्ट लेकर आई और विधानसभा सदन में यह ध्वनिमत से पारित हुआ और कानून बना।
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उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दे रही है सरकार
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता डॉ. चतुर्वेदी कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के पश्चात् कि आरक्षण 50 प्रतिशत के दायरे में ही दिया जा सकता है, वर्तमान राजस्थान सरकार ने इस दायरे में रहते हुए गुर्जरों सहित इन 5 जातियों को 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि गुरूकुल योजना, स्कूटी योजना, साईकिल वितरण एवं छात्रावास योजनाओं का लाभ भी इन्हें दिया जा रहा है। सरकार ने इन जातियों के लिए किसी भी योजना में कटौती नहीं की है। सरकार की सभी योजनाएं पूर्व की भांति क्रियान्वित की जा रही है।