रक्तदान की अलख जगाने भारत भ्रमण पर निकले किरण, डेढ़ लाख लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे …
नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल ऑरगेनाइजेशन) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में रक्त की कमी के चलते प्रतिदिन 12 हजार लोग मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। इसी के चलते लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने की मुहीम पर निकले हैं दिल्ली के रहने वाले 33 वर्षीय किरण वर्मा। अपना जीवन रक्तदान के लिए समर्पित कर चुके किरण देशवासियों में रक्तदान की अलख जगाने के लिए भारत भ्रमण पर हैं। किरण देश के सभी राज्यों में 15 हजार किलोमीटर की यात्रा करते हुए डेढ़ लाख लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने ‘सिंपली ब्लड’ नाम का एक मोबाइल एप भी बनाया है जिसपर 182 देशों के 17,500 रक्तदाता रजिस्टर्ड हैं जो अपने आसपास जरूरतमंद के लिए रक्तदान करके उनकी जिंदगियों बचाने का काम करते हैं। यह दुनिया का पहला वर्चुअल ब्लड डोनेशन और रक्तदान का पहला सोशल मीडिया प्लेटफार्म है।
अपने भारत भ्रमण पर निकले किरण हाल ही में जयपुर पहुंचे। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में शासन सचिव मुख्यमंत्री के.के. पाठक से मुलाकात की और अपनी यात्रा के बारे में जानकारी दी। इस पर पाठक ने उनकी भावनाओं व जनकल्याण के कार्य की सराहना करते हुए उनकी सफल यात्रा की कामना की। किरण का मानना है कि रक्तदान के इच्छुक व्यक्ति को सीधा जरूरतमंद को ही रक्त का दान करना चाहिए ताकि जरूरतमंद का जीवन बचाया जा सके।
यहां-यहां फैला चुके हैं जागरूकता
श्रीनगर के लालचौक से 26 जनवरी को पैदल यात्रा शुरू करने वाले किरण वर्मा चंद्रकोट, उधमपुर, जम्मू, सांबा, पठानकोट, बटाला, अमृतसर, चंडीगढ़, पिंजौर, बडुग, समरहिल (शिमला), कालका, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल व रोहतक के रास्ते हिसार व अलवर होते हुए जयपुर पहुंचे। इस दौरान वे विभिन्न स्कूलों-कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के 82 हजार से अधिक विद्यार्थियों को रक्तदान का महत्व, तरीका व सही समय बताकर उन्हें जागरूक कर चुके हैं। वह 14 जून तक देश के सभी राज्यों में 15 हजार किलोमीटर की यात्रा करते हुए प्रति किलोमीटर 10 लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य के साथ डेढ़ लाख लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे। राजस्थान से वे रक्तदान की अलख जगाने के लिए गुजरात व अन्य राज्यों में जाएंगे।
ऎसे मिली प्रेरणा
सात साल की उम्र में मां की मृत्यु के बाद जीवन में काफी कष्ट झेलने वाले किरण को रक्तदान का महत्व उस समय पता चला जब इन्होंने अपने शिक्षक को रक्त दिया। उस समय शिक्षक के बेटे की आंखों में इनके लिए जो भाव थे उन्होंने रक्तदान को इनके जीवन का मकसद बना दिया। इसके बाद वे अक्सर ऎम्स व सफदरजंग अस्पताल में जाकर जरूरतमंदों को रक्तदान करने लगे। यहां एक बार उनके द्वारा दान किए गए रक्त को दलालों ने किसी जरूरतमंद को बेच दिया जिसकी जानकारी मिलने के बाद उन्होंने शिक्षण संस्थान में मार्केटिंग हेड की नौकरी छोडकर पूरी तरह से रक्तदान के प्रति अलख जगाना शुरू कर दिया। वे खुद अब तक 40 बार रक्तदान कर चुके हैं।
इनका कहना है …
‘देश में खून की जरूरत के मुकाबले इसकी आपूर्ति कम है। देश में हर 100 में से 3 लोग ही रक्तदान करते हैं। वे कहते हैं कि यदि प्रति सौ में से एक रक्तदाता भी बढ़ जाता है तो देश में खून से संबंधित सभी जरूरतें पूरी हो सकती हैं। 14 जून को यात्रा के समापन पर मैं दिल्ली में दुनिया का पहला वर्चुअल ब्लड डोनेशन कैंप लगाउंगा जिसमें रक्तदाताओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा जो जरूरत के समय लोगों को रक्त उपलब्ध कराएंगे।’
– किरण वर्मा
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